पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) ट्रांजिशन स्टेज है जिसमें महिला मेनोपॉज की ओर अग्रसर होने लगती है। इस दौरान शरीर में होने वाले बदलाव महिला के रोजमर्रा के जीवन को भी प्रभावित करते हैं। कुछ महिलाओं में यह 40 से कम उम्र (Early Perimenopause) में भी हो सकता है। इसके पीछे के कारण जानने और उसके लक्षणों को मैनेज करने के उपायों के बारे में हमने एक्सपर्ट से बात की।

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ओम धगाल - पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भाजपा युवा मोर्चा

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एक महीला के शरीर में जीवन के लगभग हर पड़ाव में बदलाव आते हैं। किशोरावस्था से मेनोपॉज तक जैसे-जैसे रिप्रोडक्टिव उम्र में बदलाव होता है, हार्मोन्स में भी बदलाव होते हैं। एक बेहद अहम बदलाव शुरू होता है, पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) के दौरान। पेरिमेनोपॉज उस स्थिति को कहते हैं, जब महिला मेनोपॉज(Menopause) की ओर अग्रसर होना शुरू करती है और उसके हार्मोन्स में बदलाव होने लगते हैं।इस वजह से इसके कुछ लक्षण (Perimenopause Symptoms) भी दिखने लगते हैं।

Perimenopause की स्टेज हर महिला में अलग-अलग समय के लिए होता है, जैसे- कुछ स्त्रियों में यह कुछ महीनों के लिए होता है, तो वहीं कुछ में यह कई सालों तक चलता है। हालांकि, यह बिल्कुल नेचुरल और स्वाभाविक है, लेकिन इसके लक्षणों की वजह से कई बार रोजमर्रा के जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इसके लक्षणों को कैसे मैनेज कर सकते हैं इस बारे में हमने एक्सपर्ट्स से जानने की कोशिश की। आइए जानें इस बारे में उन्होंने क्या-क्या बताया।

क्या होता है पेरिमेनोपॉज?

पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) ऐसी ट्रांजिशन स्टेज होती है, जिसमें महिला के शरीर में एस्ट्रोजेन हार्मोन का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है। यह तब तक चलता है, जब तक मेनोपॉज नहीं हो जाता, यानी पीरियड्स आने बंद होना। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ओवरीज कम हार्मोन बनाना शुरू कर देती हैं और इस कारण फर्टिलिटी कम होने लगती है। लेकिन समाप्त नहीं होती। ओवेरियन हार्मोन्स में कमी की वजह से इस दौरान पीरियड्स भी काफी अनियमित हो जाते हैं। जब पूरे एक साल तक पीरियड्स न हो, तो समझ जाएं कि अब पेरिमेनोपॉज समाप्त हुआ और मेनोपॉज हो गया है। वैसे तो हर महिला में यह अलग उम्र में होता है, लेकिन कुछ महिलाओं में यह जल्दी भी हो जाता है, जैसे 30 साल के आस-पास की उम्र में।

कुछ महिलाओं में पेरिमेनोपॉज जल्दी क्यों होता है?

जल्दी पेरिमेनोपॉज (Early perimenopause) होने के पीछे के कारणों के बारे में बात करते हुए डॉ. आस्था दयाल ( सी.के. बिरला अस्पताल, गुरुग्राम की स्त्री रोग एवं प्रसुति विभाग की लीड कंसल्टेंट) ने बताया कि यह कई वजहों से हो सकता है। इसके लिए हेरेडेटरी और वातावरण संबंधी कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। इनकी वजह से 40 साल से कम आयु में पेरिमेनोपॉज शुरू हो सकता है।

किसी भी महिला का पारिवारिक इतिहास पेरिमेनोपॉज किस उम्र में शुरू होगा, यह निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसका मतलब है कि क्या उसके परिवारजनों में किसी को जल्दी मेनोपॉज हुआ हो, तो संभावित है कि उस महिला को जल्दी पेरिमेनोपॉज शुरू हो जाए।

इसके अलावा, जिनकी डाइट हेल्दी नहीं है या जो स्मोकिंग और ड्रिंकिंग करते हैं, उनमें भा हार्मोनल असंतुलन की वजह से जल्दी पेरिमेनोपॉज हो सकता है। साथ ही, जिन महिलाओं को अनियमित पीरियड्स होते हैं, उन्हें भी पेरिमेनोपॉज कम उम्र में हो सकता है। ऐसे ही, जो महिला कभी गर्भवती नहीं हुई है, उसमें भी जल्दी पेरिमेनोपॉज होने की संभावना रहती है।

कैसे करें पेरिमेनोपॉज के लक्षण मैनेज?

इस बारे में डॉ. मनीषा अरोड़ा ( मैक्स सुपर स्पेशेलटी अस्पताल, गुरुग्राम की स्त्री रोग एवं प्रसुति विभाग की निदेशक) ने बताया कि पेरिमेनोपॉज की जल्दी शुरूआत होने के पीछे का कारण होता है, ओवेरियन हार्मोन्स के स्तर में कमी आना। इसके कारण मेंसुरल साइकिल अनियमित हो जाती है, मूड में बदलाव होता रहता है, जैसे- मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, आत्मविश्वास की कमी, हड्डियों से जुड़ी समस्या, जैसे- ओस्टियोपीनिया। ओस्टोपिनीया पर ध्यान न दिया जाए, तो यह ओस्टियोपोरोसिस में भी बदल सकता है।

इसलिए पेरिमेनोपॉज को मैनेज करने के लिए उसके लक्षणों को कम करने की जरूरत होती है। इसके लिए डॉ. दयाल बताती हैं कि अगर आपको ऐसा लग रहा है कि आप जल्दी पेरिमेनोपॉज में जा चुकी हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें और इस बारे में उन्हें बताएं, ताकि वे टेस्ट आदि की मदद से हार्मोन्स में हो रहे बदलावों की पुष्टि कर सकें।

पेरिमेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कारगर हो सकती है। इसमें एस्ट्रोजेन और प्रोजिस्ट्रोन को रिप्लेस किया जाता है, जिनकी मात्रा पेरिमेनोपॉज के दौरान कम होने लगती है। इसके अलावा, हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करके भी आप इसके लक्षणों को काफी हद तक मैनेज कर सकते हैं।

इसके लिए रोज नियमित व्यायाम करना, हेल्दी डाइट, जिसमें फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल हों, योग और मेडिटेशन जैसी रिलैक्सिंग तकनीकों से तनाव कम करना और तंबाकू व शराब से परहेज करना जरूरी है।

डॉ. अरोड़ा बताती हैं कि डाइट का खास ख्याल रखना जरूरी हो जाता है, क्योंकि एस्ट्रोजेन की कमी की वजह से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अपनी डाइट में कम फैट्स और कार्ब्स वाले खाने को शामिल करें। साथ ही, एक्सरसाइज जरूर करें, ताकि कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को बढ़ावा मिले।

एस्ट्रोजेन की कमी की वजह से हड्डियां भी कमजोर हो सकती हैं। इसलिए अगर पेरिमेनोपॉज के साथ ही कैल्शियम के सप्लिमेंट्स लेना शुरू कर देना चाहिए, ताकि हड्डियों को नुकसान न हो। इसके अलावा, पीरियड्स से जुड़ी कोई भी समस्या हो, तो डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।

इसके आगे डॉ. दयाल बताती हैं कि हर महिला का पेरिमेनोपॉज का अनुभव अलग होता है। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि जो उपाय एक के लिए काम करें, वह दूसरों पर भी असरदार होंगे। ऐसे ही सभी में लक्षण की गंभीरता भी अलग-अलग हो सकती है। इसलिए इसके लक्षणों को मैनेज करने के लिए कौन-सा तरीका सही है, इस बारे में जानने में थोड़ा समय भी लग सकता है। ऐसे में पैनिक न करना और सब्र बनाए रहना बेहद जरूरी होता है।