सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगाते हुए आईपीएस अधिकारी को विशेष अवकाश पर जाने की अनुमति दे दी. सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका राजस्थान सरकार की ओर से दाखिल की गई थी.
आईपीएस अधिकारी अजय पाल लांबा को राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम की उस अपील के बाद पेश होने को कहा था, जिसमें उसने निचली अदालत से नाबालिग से बलात्कार दोषी ठहराए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंद्रेश की बेंच ने हाईकोर्ट से इस मामले पर शीघ्र सुनवाई करने की बात कही है.
हाईकोर्ट के सामने लंबित है आसाराम की याचिका
रेप मामले में दोषी करार दिए गए आसाराम की याचिका हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है. इस याचिका में आसाराम ने तर्क दिया है कि अभियोजन पक्ष का पूरा मामला झूठा और मनगढ़ंत है. इसके साथ ही याचिका में आईपीएस अधिकारी लांबा को तलब करने के लिए एक आवेदन दायर किया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया कि घटना के जिन वीडियो को शूट किया गया था, उसके आधार पर पीड़ित को धमकाया गया है.
इस आवेदन में ये भी कहा गया है कि अजय पाल लांबा की ओर से लिखी गई गनिंग फॉर द गॉडमैन, द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कन्विक्शन नाम की किताबों से इस दावे की पुष्टि की जा सकती है. याचिका पर आसाराम के पक्ष की ओर से दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने इसे अनुमति दे दी थी. हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है.
ऑर्डर में हाईकोर्ट ने क्या कहा था?
राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा था कि ये वीडियो निश्चित रूप से एक जरूरी साक्ष्य होगा, क्योंकि इसे एक पुलिस अधिकारी की ओर से क्राइम सीन पर पहली बार जाने के दौरान रिकॉर्ड किया गया था. मुकदमे में अजय पाल लांबा के सबूत की जांच नहीं की गई थी. बचाव पक्ष को यह दावा करने का अधिकार है कि लांबा को इस मामले में अदालती गवाह के रूप में बुलाने और पूछताछ करने के लिए बुलाया जाए. बता दें कि आसाराम को इसी साल जनवरी में एक अन्य रेप केस में दोषी ठहराया गया था.