आगरा: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री डा. कृष्णवीर सिंह कौशल का मंगलवार को निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। उन्होंने वर्ष 1957 में एसएन मेडिकल कालेज में एमबीबीएस में प्रवेश लिया था। पहली बार चुनाव लड़ने को उन्हें इंदिरा गांधी ने पांच हजार रुपये दिए थे। उनके निधन से राजनीतिक व चिकित्सा जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
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वर्तमान में नोर्थ ईदगाह कालोनी निवासी डा. कृष्णवीर सिंह कौशल पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। मंगलवार को उपाध्याय नर्सिंग होम में उन्होंने अंतिम सांस ली। डा. कौशल के राजनीतिक जीवन की शुरुआत रिपब्लिकन पार्टी से हुई थी। स्टेडियम में सभा करने आए मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा का उन्होंने घेराव किया था। डा. कौशल से प्रभावित होकर बहुगुणा ने उन्हें दिल्ली बुलाया था। आरएस गवई से अनुमति प्राप्त करने के बाद डा. कौशल ने दिल्ली जाकर बहुगुणा से मुलाकात की थी। वर्ष 1974 के विधानसभा चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन हुआ था। कांग्रेस ने सात सीटें रिपब्लिकन पार्टी को दी थीं। डा. कौशल को छावनी विधानसभा सीट से टिकट दिया गया। कौशल के पास धन की कमी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें पांच हजार रुपये चुनाव लड़ने को दिए थे। स्थानीय स्तर पर कांग्रेसी उनका विरोध कर रहे थे। तब इंदिरा गांधी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया, हरदेव जोशी के नेतृत्व में राजस्थान के मंत्री मंडल को उनके चुनाव प्रचार को भेजा था।
इसके बाद डा. कौशल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 1974, 1977, 1980 और 1985 में छावनी विधानसभा से विधायक चुने गए। नारायण दत्त तिवारी ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में डा. कौशल को सूचना राज्य मंत्री बनाया था। इसके बाद उन्हें शिक्षा मंत्री व कृषि मंत्री बनाया गया। कमलापति त्रिपाठी का आशीर्वाद सदैव डा. कौशल को मिला। कौशल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष भी रहे। उनके निधन की सूचना मिलते ही नोर्थ ईदगाह कालोनी स्थित आवास पर कांग्रेस नेताओं का पहुंचना शुरू हो गया। कौशल ने भरा-पूरा परिवार छोड़ा है। उनके दो बेटे राजेश कौशल और डा. यज्ञेश कौशल हैं। उनकी तीन बेटियां हैं, जिनमें से एक का निधन पिछले वर्ष हो गया था। डा. कौशल की शवयात्रा बुधवार सुबह 10 बजे नोर्थ ईदगाह कालोनी से ताजगंज मोक्षधाम के लिए प्रस्थान करेगी।