रामलीला का आयोजन आज के समय में भी हैं प्रासंगिक - गोपाल माहेश्वरी
एतिहासिक ढाई कड़ी की रामलीला का हुआ विधिवत शुभारंभ

बून्दी। ज्यादातर स्थानों पर रामलीला का मंचन अवधी और हिंदी भाषाई शैली में होता है, लेकिन हाड़ौती क्षेत्र में कुछ स्थानों पर यह खास परंपरा है कि रामलीला का मंचन स्थानीय भाषा में संवादों और लयबद्ध दोहों के माध्यम से किया जाता है, जो इसकी अनूठी विशेषता है। इस परंपरा के अपने खास दर्शक और शुभचिंतक हैं, जो हर साल इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं। हाड़ौती और ग्रामीण शैली की भाषा में तैयार किए गए लयबद्ध संवादों के साथ केशवरायपाटन उपखंड के लेसरदा गांव में ढाई कड़ी की रामलीला का शुभारंभ रविवार से विधिवत रूप से हो गया। हर बार की तरह इस बार की रामलीला को स्थानीय बोली और सांस्कृतिक रूप से प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसमें गाँववासियों की विशेष भागीदारी रहती हैं।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि ’ गोसेवक गोपाल माहेश्वरी ’ ने श्रीराम के चरित्र और रामलीला के आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि रामलीला का आयोजन आज के समय में भी अत्यधिक प्रासंगिक है। आज के डिजिटल और आधुनिक समय में भी रामलीला मंडल के स्थानीय कलाकार इस पौराणिक और ऐतिहासिक परंपरा को जीवित रखते हुए नई पीढ़ी को भी इस सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बना रहे हैं। गोसेवक गोपाल माहेश्वरी ने विधिवत गणेशजी और सरस्वती पूजन के साथ रामलीला का उद्घाटन किया। इसके पश्चात रंगमंच पर श्रीराम जन्म का भव्य मंचन किया गया, जिसमें स्थानीय कलाकारों ने अद्भुत भूमिका निभाई। इस अवसर पर उद्घाटनकर्ता भगवानदास गुप्ता, राकेश माहेश्वरी, संदीप गुप्ता मंचासीन रहे।
रामलीला मंडल के अध्यक्ष सीताराम खारवाल ने रामलीला के इतिहास और महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि इस रामलीला का मंचन स्थानीय भाषा में तैयार किए गए लयबद्ध दोहों के माध्यम से होता है। इस रामलीला का आयोजन आने वाले कई दिनों तक जारी रहेगा, जिसमें रामायण की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का भी मंचन किया जाएगा। मंच संचालन देवकीनंदन शर्मा मामाजी ने किया।