अल्जाइमर (Alzheimer's Disease) एक ऐसी बीमारी है, जिसमें ब्रेन में एमोलेड बीटा प्रोटीन के जमा होने के कारण ब्रेन के सेल्स प्रभावित होने लगते हैं। दरअसल, यह बढ़ती उम्र की बीमारी है जो लाइफस्टाइल के खराब होने पर तेजी से बढ़ती है। इसमें व्यक्ति की याददाश्त, समझ और फैसले लेने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। ऐसे में, हर साल 21 सितंबर को मनाए जाने वाले विश्व अल्जाइमर दिवस (World Alzheimer’s Day 2024) के मौके पर जागरण के ब्रह्मानंद मिश्र ने डॉ. प्रवीण गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, न्यूरोलाॅजी, फोर्टिस अस्पताल, गुरुग्राम से खास बातचीत की है। आइए डॉक्टर की मदद से जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी सभी जरूरी बातें।

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क्या हैं शुरुआती लक्षण

इसके लक्षणों की बात करें तो अल्जाइमर से जूझ रहे व्यक्ति को शब्द याद नहीं आते, गिलास को वह गिलास नहीं बोल पाता, रास्ता भी भूलने लगता है यहां तक कि भोजन करके भी वह भूल जाता है। बीमारी गंभीर होने पर वह धीरे-धीरे लोगों को पहचानना भी कम कर देता है। अंततः ऐसा व्यक्ति अपना ख्याल नहीं रख पाता। अपने आसपास के लोगों, रिश्तेदारों के नाम भी भूलने लगता है।

क्या कम उम्र में भी होती है परेशानी?

जो लोग कम उम्र में ही भूलने लगते हैं, उन्हें सामान्य तौर पर अल्जाइमर नहीं होता। दरअसल, ऐसे लोगों का कामकाज के दबाव या डिप्रेशन के कारण दिमाग भरा रहता है या वे पूरी तरह एकाग्र नहीं रह पाते, इसलिए भूलने की समस्या होती है। कम उम्र में भी अल्जाइमर होता है, पर यह बहुत कम होता है। विटामिन बी12 की कमी या थायराइड असंतुलन के कारण भी भूलने की समस्या होने लगती है।

कब हों सतर्क?

अल्जाइमर की बीमारी की आशंका आमतौर पर 60 वर्ष की उम्र के बाद ही होती है। विटामिन बी12 या थायराइड असंतुलन से अल्जाइमर जैसी समस्या हो सकती है, पर वह अल्जाइमर नहीं होती। बी12, थायमिन की कमी से भूलने की समस्या हो सकती है।

कैसे जिम्मेदार है लाइफस्टाइल?

अल्जाइमर के पीछे एक बड़ा कारण जीवनशैली का असंतुलन भी है। समय पर भोजन करना, पूरी नींद लेना, शारीरिक तौर पर सक्रिय रहना, कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाले भोजन से परहेज, स्ट्रेस फ्री लाइफस्टाइल से डिमेंशिया और अल्जाइमर बीमारी की आशंका को रोका जा सकता है। लगातार स्क्रीन पर काम करने या आर्टिफिशियल लाइट में रहने से नींद प्रभावित होती है और रिदम खराब हो जाता है। अगर पूरी नींद लेंगे, तो दिमाग को आराम मिलेगा।

क्या है इलाज?

अल्जाइमर के लक्षण स्पष्ट होने के बाद उसका उपचार शुरू होता है, साथ ही काग्निटिव थेरेपी, बिहेवियर थेरेपी, योग, प्राणायाम और दवा के माध्यम से भी इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

जरूरी बातें

  • अल्जाइमर और डिमेंशिया से बचने के लिए तनाव मुक्त रहने का प्रयास करें।
  • दिमाग को सक्रिय रखने के लिए कोई शौक विकसित करें या बौद्धिक कार्यों में सक्रियता बढ़ाएं।
  • शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें। नियमित व्यायाम करें और धूम्रपान न करें।
  • तले भुने भोजन, घी, तेल, चिकनाई से परहेज करें।
  • पर्याप्त फल-सब्जी खाएं, पर नमक का सेवन सीमित रखें।
  • अखरोट-बादाम का सेवन लाभकारी है।
  • फिश ऑयल में ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं, जो दिमाग को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।

जरूरी है अच्छी नींद

कम से कम छह से आठ घंटे की नींद जरूरी है। सोने का एक समय निर्धारित करें। सोने से पहले मोबाइल देखना बंद कर दें। दिमाग में कोई सोच नहीं आना चाहिए, इसे शांत करके सोएं, ताकि अच्छी गहरी नींद आए।