कृषि विज्ञान केन्द्र श्योपुरिया बावड़ी पर प्राकृतिक खेती पर जागरूकता कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, जिसमें बून्दी जिले के 36 प्रगतिशील कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया। 

नोडल अधिकारी प्राकृतिक खेती डाॅ. घनश्याम मीना ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि आजकल खेती में रसायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों एवं खरपतवार नाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से किसानों की मिट्टी जहरीली हो गई है, जिसका दुष्प्रभाव मनुष्यों पर एवं पशु-पक्षियों पर दिखने लगा है। अभी मनुष्यों में कम उम्र में उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, मधूमेह, कैंसर और हदृयघात तथा पशुओं में बांझपन एवं बच्चेदानी बाहर निकलना, गर्भ न ठहरना इत्यादि बहुत अधिक समस्यायें आने लगी है। इन सबसे बचने का उपाय प्राकृतिक खेती है। उन्होंने प्राकृतिक खेती में कीट प्रबन्धन की विभिन्न तकनीकों की जानकारी दी और बताया कि प्राकृतिक खेती में खर्चा नहीं है, इसलिए किसानों के लिए वरदान साबित होगी प्राकृतिक खेती। डाॅ. घनश्याम मीना ने किसानों को प्रशिक्षण के दौरान प्राकृतिक खेती की आवश्यकता, प्राकृतिक खेती के लाभ, प्राकृतिक खेती में पोषक तत्व प्रबन्धन, कीट एवं व्याधि नियंत्रण के विभिन्न तरीकों के बारे में बताते हुए कहा कि केन्द्र पर शीघ्र ही खुदरा उर्वरक विक्रेताओं के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा, जिसके लिए केन्द्र पर आवेदन भरे जा रहे है। पहले आओ, पहले पाओं के आधार पर प्रशिक्षार्थियों का चयन किया जाएगा।

 जागरुकता कार्यक्रम के दौरान प्राकृतिक एवं जैविक खेती में अन्तर, प्राकृतिक खेती का महत्व एवं प्राकृतिक खेती के लिए पोषक तत्व प्रबन्धन के लिए जीवामृत, घनजीवामृत बनाना, फूल पानी, गुड़जल अमृत पानी बनाना एवं हरी खाद के उपयोग के तरीकों के बारे में बताया। बीजोपचार के लिए बीजामृत बनाना एवं इसके उपयोग व महत्व तथा पौध संरक्षण के लिए दशपर्णी अर्क बनाना, अग्नि अस्त्र बनाना, सोंठास्त्र बनाना, नीमास्त्र बनाना एवं रोग नियंत्रण के लिए कण्डे पानी का उपयोग एवं खट्टी छाछ की उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताया। दीपक कुमार वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता ने किसानों को केन्द्र पर स्थापित प्राकृतिक खेती प्रदर्शन इकाई का भ्रमण कराया।