सीएम योगी ने उपचुनाव से पहले एक बार फिर से ज्ञानवापी पर बड़ा बयान दिया है। गोरखपुर में हिंदी दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा- ज्ञानवापी ही विश्वनाथ धाम है। इसे मस्जिद कहना दुर्भाग्यपूर्ण हैं।उन्होंने कहा- हिंदी देश को जोड़ने की एक वैधानिक भाषा है। मैं मानता हूं कि बहुसंख्यक आबादी, जिसे जानती, पहचानती और समझती है। वो राजभाषा हिंदी है। राज्यभाषा हिंदी के बारे में एक बात जरूर है कि इसका मूल देववाणी संस्कृत से है।जब हम भाषा का अध्ययन करते हैं, तब दुनिया में जितनी भी भाषाएं और बोलियां हैं। कहीं न कहीं उनका स्त्रोत देववाणी संस्कृत में है। वो वैदिक संस्कृत या व्यावहारिक संस्कृत हो सकती है। याद करिए, केरल में जन्मा एक संन्यासी आदि शंकर के रूप में भारत के चार कोनों में चार पीठों की स्थापना करता है। आचार्य शंकर जब अपने अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे की साधना के लिए जब काशी आए। तब साक्षात भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा ली।दरअसल, ब्रह्म मुहूर्त में आदि शंकर गंगा स्नान के लिए जा रहे होते हैं। भगवान सबसे अछूत कहे जाने वाले चंडाल के रूप में उनके मार्ग पर खड़े हो गए। उन्हें देखकर आदि शंकर ने कहा- मेरे मार्ग से हटो।चंडाल ने उसने पूछा- आप अपने आपको अद्वैत ज्ञान के मर्मज्ञ मानते हैं। आप किसे हटाना चाहते हैं? आपका ज्ञान क्या इस भौतिक काया को देख रहा? या भौतिक काया के अंदर बसे हुए ब्रह्म को?अगर ब्रह्म सत्य है, तो जो ब्रह्म आपके अंदर है, वही ब्रह्म मेरे अंदर भी है। इस ब्रह्म सत्य को जानकर भी ठुकरा रहे हैं। इसका मतलब आपका यह ज्ञान सत्य नहीं है। आदि शंकर भौचक्के रह गए।उन्होंने पूछा- आप कौन हैं। मैं जानना चाहता हूं? जवाब में भगवान ने कहा- जिस ज्ञानवापी की उपासना के लिए आप केरल से चलकर यहां आए हैं। मैं साक्षात स्वरूप विश्वनाथ हूं। दुर्भाग्य से वो ज्ञानवापी, जिसे लोग आज दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं, लेकिन वो ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ ही हैं।

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