सरकार चाहती है कि ऑनलाइन व्यवस्था के माध्यम से पारदर्शी प्रक्रिया ग्राम पंचायतों तक भी पहुंचे। ग्राम प्रधानों और सचिवों से अपेक्षा की जा रही है कि वह सारी गतिविधियों को पोर्टल पर डालें। ग्राम विकास विकास योजना भी ऑनलाइन हो। मगर यह ऑनलाइन व्यवस्थाएं चल कैसे रही होंगी यह इसी अगस्त में पंचायतीराज मंत्रालय द्वारा जारी पंचायत प्रोफाइल को देखकर जान सकते हैं।

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पटौदी इंटरप्राइजेज एवं अलगोजा रिसोर्ट कीऔर से बूंदी वासियों को दीपावली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं

डिजिटल इंडिया पर सरकार का जोर है। लगभग सभी संस्थानों में सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है, लेकिन इस तकनीकी विकास में गांव काफी पिछड़े हुए दिखाई दे रहे हैं या कहें कि ग्राम पंचायतों तक इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने के सरकारों के प्रयास 'कछुआ चाल' चल रहे हैं। ग्राम पंचायतों तक फाइबर ऑप्टिक केबिल (फाइबर टू द होम-एफटीटीएच) के माध्यम से इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने की योजना 2011 में यूपीए सरकार ने शुरू, जिसे अलग नाम से एनडीए सरकार ने भी आगे बढ़ाया, लेकिन आज स्थिति यह है कि देशभर की मात्र 28 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में ही एक्टिव एफटीटीएच इंटरनेट कनेक्शन है। पंचायतों से लेकर सभी सरकारी कार्यालयों में आमजन से जुड़ी लगभग सभी सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है।

सरकार चाहती है कि ऑनलाइन व्यवस्था के माध्यम से पारदर्शी प्रक्रिया ग्राम पंचायतों तक भी पहुंचे। ग्राम प्रधानों और सचिवों से अपेक्षा की जा रही है कि वह सारी गतिविधियों को पोर्टल पर डालें। ग्राम विकास विकास योजना भी ऑनलाइन हो। मगर, यह ऑनलाइन व्यवस्थाएं चल कैसे रही होंगी, यह इसी अगस्त में पंचायतीराज मंत्रालय द्वारा जारी 'पंचायत प्रोफाइल' को देखकर जान सकते हैं। इस रिपोर्ट ग्राम पंचायतों की विभिन्न योजनाओं, सुविधाओं, कार्यकलापों आदि का विस्तृत ब्योरा दिया गया है। इसी में उल्लेख है कि देशभर में ग्राम पंचायतों की कुल संख्या 255197 है।

इसमें से 87 प्रतिशत निकायों के पास अपने भवन हैं। 81 प्रतिशत ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जो कम्प्यूटर से लैस हो चुकी हैं, लेकिन भारतनेट एफटीटीएच एक्टिव कनेक्शन का आंकड़ा देखें तो पता चलता है कि यह सुविधा अभी मात्र 28 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में ही है। पंचायतीराज मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, ग्राम पंचायतों तक इंटरनेट कनेक्शन पहुंचाने के लिए यूपीए सरकार ने 2011 में नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क नाम से योजना शुरू की थी। 2013 तक सभी पंचायतों तक फाइबर कनेक्टिविटी देने का लक्ष्य तय किया गया था। लक्ष्य संशोधन कर तय किया गया कि 2016 तक काम पूरा कर लिया जाएगा।

इस बीच 2014 में सत्ता परिवर्तन हो गया, लेकिन योजना चलती रही। राजग सरकार ने भारतनेट कार्यक्रम के नाम से काम आगे बढ़ाया और 2017 तक सभी ग्राम पंचायतों में इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने का दावा किया गया। फिर लक्ष्य को बढ़ाकर 2021 कर दिया गया, लेकिन आंकड़ा 28 प्रतिशत तक ही पहुंच सका है। पंचायतीराज मंत्रालय के अधिकारी इस संबंध में कुछ भी कहने से बचते हैं। उनका कहना है कि ग्राम पंचायतों तक इंटरनेट सुविधा पहुंचाने का जिम्मा संचार मंत्रालय का है।