श्री गोकरूणा चातुर्मास आराधना महोत्सव
श्री गोकरूणा संत सत्कार समारोह में चौधरी आंजना समाज ने देशभर से आए संतों का किया सत्कार
हर वर्ग के जुड़ने से ही गोसेवा का यह अभियान सार्थक होगा: गोऋषि स्वामी दत्तशरणानंद जी महाराज
रिपोर्टर/रमेश माली
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रेवदर। श्री मनोरमा गोलोक नंदगांव केसुआं में चल रहे श्री गोकरुणा चातुर्मास आराधना महोत्सव में हिन्दु समाज के हर वर्ग को गोसेवा से जोड़ने की कड़ी में आज श्री गो करूणा संत सत्कार समारोह में चौधरी आंजना समाज ने देशभर से आए संतों का पूजा अर्चना कर स्वागत सत्कार किया गया। समारोह में भारत वर्ष के ज्ञानी, ध्यानी, सिद्ध तपोनिष्ठ साधू, संत व महापुरूषों की चौधरी आंजना समाज द्वारा विशेष पुजा अर्चना की गई। इसके बाद चौधरी आंजना समाज ने गौपूजन किया। इस अवसर पर चातुर्मास में पधारे महाभाग्यशाली धर्मात्माओं ने परम पुज्य जगद्गुरु द्वाराचार्य मलुक पीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्र दास जी महाराज, सुरजकुंड के परम पुज्य सिद्ध संत श्री अवधेश चैतन्य जी महाराज, परम पूज्य तपोनिष्ठ स्वामी श्री चेतनानंदजी महाराज डण्डाली आबुराज, 121 दंडी स्वामी सहित अयोध्या, मथुरा, वृन्दावन, हरिद्वार, चित्रकूट, काशी, पुरी से पधारे सैकङों यतीवृन्द संत महात्माओं का तिलक अर्चन साष्टांग दण्डवत प्रणाम कर विधिवत सत्कार संपन्न हुआ। इस अवसर पर रामरतनदास जी महाराज टेटोडा, दानाराम चौधरी सांचोर, दुर्गाराम चौधरी पांचला, नागजीराम चौधरी पथमेड़ा, मूलाराम चौधरी धानोल, देवजी भाई जी टेटोडा, लालाभाई भीलडी, अर्जुन भाई चौधरी भाड़ली व चेलाभाई चौधरी भाड़ली सहित समाज के सैंकड़ों गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
गोसेवा के क्षेत्र चौधरी आंजना समाज का अनूठा योगदान : मलूक पीठाधीश्वर
संत सत्कार समारोह में गोऋषि स्वामी दत्तशरणानंद जी महाराज ने हिन्दु समाज के हर वर्ग को गोसेवा के इस अभियान से जोड़ने के पावन और पुनीत कार्य में सबका सहयोग मिल रहा है। हर वर्ग के जुड़ने से ही गोसेवा का यह अभियान सार्थक होगा। चौधरी आंजना समाज का गोसेवा के क्षेत्र में बेहद सहरानीय योगदान है। उन्होंने मानव जीवन में सभ्य समाज के आचरण पर प्रकाश डाला। इस दौरान परम गो उपासक मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास देवाचार्य जी महाराज ने चौधरी आंजना समाज द्वारा आयोजित संत सत्कार समारोह को संबोधित करते हुए बताया कि आपके पूर्वजो के गोसेवा के पुनीत कार्य को आज भी याद किया जाता है। आपके समाज ने अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए अनेक कष्टों को सहते हुए गोसेवा धर्म का पालन किया है।