नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। जनवरी से मार्च 2022 के दौरान 14 स्टार्टअप्स ने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया था, लेकिन 2023 की पहली तिमाही में एक भी नया यूनिकॉर्न नहीं बन सका। इसका प्रमुख कारण फंडिंग में गिरावट है। ग्लोबल डेटा इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन ने अपनी नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।

मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में भारतीय स्टार्टअप्स ने कुल 2.8 अरब डॉलर का फंड जुटाया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 11.9 अरब डॉलर की तुलना में 75% कम है। रिपोर्ट में फंडिंग में गिरावट का कारण बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों में वृद्धि को बताया गया है।

इस तिमाही में फोनपे, लेंसकार्ट, मिंटीफाई, इंश्योरेंस देखो, फ्रेशटूहोम फूड्स, टीआई क्लीन मोबिलिटी और क्रेडिटबी जैसी कंपनियों को मिलाकर नौ राउंड की फंडिंग 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा की हुई। फोनपे ने 2023 की पहली तिमाही में एक से अधिक सीरीज डी राउंड में कुल 65 करोड़ डॉलर जुटाए हैं। इससे कंपनी की वैल्यूएशन 12 अरब डॉलर हो गई है। लेंसकार्ट ने 4.5 अरब डॉलर की वैल्यूएशन पर अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के नेतृत्व में सीरीज जे राउंड में 50 करोड़ डॉलर जुटाए।

स्थान के आधार पर देखें तो बेंगलुरु फंडिंग मामले में शीर्ष पर रहा। उसके बाद दिल्ली और मुंबई क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। 43% फंडिंग बेंगलुरु में, 20% दिल्ली में, 11% गुड़गांव में और 10% मुंबई में तथा 16% अन्य शहरों में हुई। टेक स्टार्टअप में निवेश करने वाले यूनिक विदेशी संस्थागत निवेशकों की संख्या भी कम हुई है। यह 2022 की पहली तिमाही में 391 थी, जो इस साल जनवरी-मार्च में 74 रह गई। दिसंबर तिमाही में विदेशी निवेशकों की संख्या 138 थी।