इन दिनों हाई बीपी यानी Hypertension की समस्या काफी ज्यादा बढ़ गई है। हमारे लगभग हर कोई इस समस्या से परेशान है। आर्टरी वॉल पर जब ब्लड का फ्लो बहुत तेज रहता है तो इस स्थिति को हाइपरटेंशन कहते हैं। अगर इस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो ये गंभीर रूप ले सकता है और स्ट्रोक, किडनी डैमेज, कमजोर विजन, याददाश्त कम होने जैसी स्थिति का कारण बन सकता है।
ऐसे में हाइपरटेंशन के लक्षणों की पहचान कर समय रहते इसे कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं हाइपरटेंशन के लक्षण और इसे कंट्रोल करने के कुछ आसान तरीके-
हाइपरटेंशन के लक्षण
- सिरदर्द
- सांस फूलना
- धुंधलापन
- कमजोरी
- चक्कर आना
- सीने में दर्द
- कान में दर्द
- अनियमित हार्टबीट
- नाक से खून आना
इन तरीकों से करें हाई बीपी कंट्रोल
तनाव कम लें
हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ने का मुख्य कारण तनाव है। तनाव के कारण दिमाग हर समय एक फाइट और फ्लाइट मोड में रहता है, जिससे ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ता है। ऐसे में जरूरत है कि जितना संभव हो उतना कम तनाव लें। इसके लिए अपने पेरासिंपाथेटिक सिस्टम को एक्टिव रखें, जो हमें शांत और स्थिर रहने में मदद करता है।
पर्याप्त नींद लें
रात में नींद पूरी न होने के कारण सुबह उठते ही कोर्टिसोल लेवल (स्ट्रेस हार्मोन) ट्रिगर हो जाता है और साथ ही इंसुलिन लेवल भी बढ़ जाते हैं। इसलिए अनावश्यक स्ट्रेस और हाई ब्लड प्रेशर से बचने के लिए कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें।
शारीरिक गतिविधि पर ध्यान दें
साइकिलिंग, ब्रिस्क वॉकिंग, जॉगिंग, टेनिस, जुंबा आदि कुछ ऐसी गतिविधियां हैं, जिन्हें करने से हाइपरटेंशन कम होता है। वहीं, वेट लिफ्टिंग, स्क्वैश, स्काई डाइविंग, स्कूबा डाइविंग जैसी गतिविधियों से बचना चाहिए।
DASH डाइट फॉलो करें
DASH (डाइटरी एप्रोच टू स्टॉप हाइपरटेंशन) डाइट फॉलो करने से भी हाई बीपी कंट्रोल होता है। इस डाइट में फल, सब्जियां, साबित अनाज, लीन मीट, कम सोडियम और डेयरी प्रोडक्ट्स शामिल होते हैं, जो हाइपरटेंशन की समस्या से बचाते हैं।
इन चीजो से करें परहेज
स्मोक, अल्कोहल, कैंड, प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें। ये इंसुलिन लेवल बढ़ाते हैं, जिससे सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम एक्टिव होता है। ये फाइट और फ्लाइट इफेक्ट दर्शाता है, जिसमें हार्ट रेट बढ़ जाता है और फिर ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।