नई दिल्ली। वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद और वक्फ बोर्ड के अधिकारों को नियंत्रित करने की उठ रही मांग के बीच सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन की तैयारी में जुट गई है। बताया जा रहा है कि वक्फ अधिनियम में 40 प्रमुख संशोधनों के प्रस्ताव को गत दिवस कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति दी जा चुकी है।

संसद में संशोधन विधेयक पारित हो जाने के बाद वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियां कम हो जाएंगी। बोर्ड किसी भी संपत्ति पर बिना सत्यापन अपना आधिपत्य घोषित नहीं कर सकेगा। बताया जाता है कि रेलवे और सशस्त्र बल के बाद सर्वाधिक भूमि का स्वामित्व रखने वाले वक्फ बोर्ड के अनियंत्रित अधिकारों में कटौती के लिए अधिनियम में संशोधन की तैयारी मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले ही शुरू कर दी थी।

लंबे समय से उठ रही थी मांग

मुस्लिम बुद्धिजीवी, महिलाएं, शिया और बोहरा जैसे मुस्लिम समुदाय लंबे समय से कानून में बदलाव की मांग भी कर रहे थे। देश में अभी 30 वक्फ बोर्ड हैं। सभी वक्फ संपत्तियों से प्रति वर्ष 200 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। यह ऐसी संस्थाओं के पास मौजूद संपत्तियों की संख्या के अनुरूप नहीं है। मूल रूप से वक्फ बोर्डों के पास पूरे देश में लगभग 52 हजार संपत्तियां थीं।

साल 2009 तक, चार लाख एकड़ जमीन वाली तीन लाख पंजीकृत वक्फ संपत्तियां थीं। आज की तारीख में वक्फ बोर्ड के पास आठ लाख एकड़ से अधिक में फैली हुई 8,72,292 संपत्तियां हैं। सूत्रों के अनुसार, संप्रग सरकार ने 2013 में 1995 के मूल वक्फ अधिनियम में बदलाव करके बोर्ड की शक्तियों को बढ़ाया था। इस तरह वक्फ बोर्ड के पास वर्तमान में किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार है।

कई बार निजी फायदे के लिए होता है संपत्ति का इस्तेमाल

दलील यह दी जाती है कि यह संपत्ति जरूरतमंद मुस्लिमों की भलाई के लिए है, लेकिन देखा गया है कि कुछ प्रभावशाली लोग इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। कई लोगों की संपत्ति को जबरन भी वक्फ संपत्ति घोषित करने का विवाद है। वक्फ अधिनियम 1995 में लागू किया गया था। यह वक्फ के रूप में दान की गई और अधिसूचित संपत्तियों को नियंत्रित करता है।

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