राजस्थान में बांसवाड़ा स्थित मानगढ़ में अलग राज्य की मांग को लेकर महारैली हुई. भील प्रदेश बनाने की मांग को लेकर हुए इस आयोजन के बाद सियासत तेज हो गई है. बाप पार्टी के अलावा कई सामाजिक संगठन भी इस आयोजन का हिस्सा रहे. जिसके बाद उदयपुर से बीजेपी सांसद मन्नालाल रावत ने इस पूरे कार्यक्रम को लेकर जुबानी हमला बोला है. उन्होंने कहा कि जिस मानगढ़ धाम पर अंग्रेजों ने नरसंहार किया था. ये उन्हीं अंग्रेजों की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं. मानगढ़ सनातन धर्म संस्कृति का स्थान है और जनजाति समाज सनातन धर्म का अभिन्न अंग है. लेकिन कुछ लोग भ्रम जाल फैलाकर राजनीति कर रहे हैं. पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ये लोग लोकसभा और राज्यसभा को नहीं मानते हैं. ना ही ये आदिवासी को मानते हैं. अगर आदिवासी को मानते तो राष्ट्रपति पद पर चुनाव लड़ते समय द्रोपती मुर्मू को वोट देते, लेकिन नहीं दिया था. इस दौरान उन्होंने बांसवाड़ा के बीएपी सांसद राजकुमार रोत का नाम लिए बगैर निशाना साधा और कहा "इनको ये कहने कि आवश्यकता क्या पड़ती है कि आदिवासी हिंदू नहीं है. एक बार ये कहकर देखें कि आदिवासी ईसाई नहीं है. ये ईसाइयों की राजनीति करते हैं और हिंदू समाज पर आक्रमण करते हैं. वहीं, हाल ही में डूंगरपुर के एक सरकारी स्कूल में भील प्रदेश की कामना को लेकर हुई प्रार्थना के सवाल पर सांसद ने कहा कि मामले में प्रिंसिपल सहित तीन शिक्षकों को एपीओ कर दिया गया है. ऐसे और भी बहुत से लोग हैं जो समाज में वैचारिक प्रदूषण फैला रहे हैं, जिन पर कार्रवाई होनी चाहिए. केवल कट्टरता और जातिवाद का जहर फैलाने के लिए ऐसी बातें नहीं होनी चाहिए. सांसद रावत ने कहा कि सनातन संस्कृति से मिले जय जोहार के नारे को कुछ लोगों ने राजनीतिक नारा बना दिया है. इसे किसी जाति या समूह के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करना गलत है. ये नारा राजनीतिक नारा क्यों बना? ये सारी रचना वही है, जो अरबन नक्सली की रचना के अनुरूप है.