उदयपुर में जल जीवन मिशन के तहत हुए काम के कुछ बिलों को रोकने पर ठेकेदार ने इंजीनियर के ट्रांसफर के बाद भी हत्या की साजिश रच दी। ठेकेदार ने इंजीनियर को कोटा में पिकअप से कुचलवाने की कोशिश की। मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं ठेकेदार और उसका एक साथी फरार है।
एसपी अमृता दुहन ने बताया कि 25 जून को थाना दादाबाडी क्षेत्र के महावीर नगर विस्तार योजना में गली में PHED अभियंता पर वाहन पिकअप से जानलेवा हमला करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। 29 जून को बने सिंह मीणा ने पर्चा बयान के जरिए रिपोर्ट दी थी कि वह वर्तमान में अधिषाशी अभियंता के पद पर पदस्थापित है।
हमले में एक हुआ था घायल
25 जून को शाम को करीब 6 बजे वह ऑफिस से अपने घर महावीर नगर विस्तार योजना की तरफ जा रहे थे। इसी दौरान सामने से तेज गति से पिकअप आई। बचाव के लिए बने सिंह पास के मकान के रैंप पर खड़ा हो गया। इसके बाद भी पिकअप ने जानबूझकर बने सिंह को टक्कर मार दी, जिससे वह घायल हो गया और पैर का ऑपरेशन हुआ। मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की।
सीसीटीवी खंगाले तो हुआ शक
पुलिस ने घटना स्थल के आस-पास के सीसीटीवी खंगाले तो पता लगा कि पिकअप नंबर RJ 09 GB 1692 ने बने सिंह की बाइक पर जान बूझकर पिकअप चालक ने टक्कर मारी। सीसीटीवी में नजर आया कि पिकअप चालक और एक अन्य व्यक्ति एक्टिवा पर अपने साथी के साथ भागे। ऐसे में पुलिस ने बने सिंह के ऑफिस के पास से लेकर घटना स्थल तक के सीसीटीवी खंगाले। जिसमें पता लगा कि स्कूटी चालक अधिशाषी अभियंता के पीएचईडी ऑफिस दादाबाडी से पीछा करता हुए तीन बती चौराहे दादाबाडी तक आया था और रैकी कर पिकअप में सवार हमलावरों को सूचना दी थी। पुलिस ने पिकअप ड्राइवर की तलाश में उदयपुर भेजा था। पिकअप चालक का साथी अशोक आचार्य को बापर्दा और पिकअप मालिक नरेन्द्र रावल व पिकअप उपलब्ध कराने वाले मोहम्मद हुसैन व राजेश साहू को डिटेन कर कोटा लाया गया।
बिल पास नहीं किए तो हमला
अधिशासी अभियंता बने सिंह मीणा मार्च 2024 से पहले उदयपुर में अधिशाषी अभियन्ता के पद पदस्थापित पर रहे थे। उस दौरान ठेकेदार मनोज वागडी से जल जीवन मिशन योजना के तहत किये गये कामों के बिलों के भुगतान पर हस्ताक्षर करने की बात को लेकर विवाद हुआ था। ठेकेदार मनोज वागडी डरा धमका कर फर्जी बिलो पर अधिशाषी अभियंता से हस्ताक्षर कराकर भुगतान उठाना चाहता था लेकिन अधिशाषी अभियंता बने सिंह ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया जिससे उसके बिलो का भुगतान अटक गया। मार्च 2024 के बाद बने सिंह का ट्रांसफर कोटा पीएचईडी में हो गया था लेकिन ठेकेदार मनोज वागडी काफी नाराज चल रहा था।
इस पर मनोज वागडी ठेकेदार ने अपने दोस्त सुकेर थाना उदयपुर के हिस्ट्रीशीटर नरेश वाल्मीकि को बताया। जिस पर एचएस नरेश वाल्मीकि ने अपने साथियो के साथ मिलकर पिकअप खरीदकर घटना को अंजाम दिलाया तथा जानलेवा हमले की घटना को एक्सीडेंट का रुप देने का प्रयास किया। वारदात के पश्चात हिस्ट्रीशीटर नरेश वाल्मीकि व ठेकेदार मनोज वागडी अपने निवास स्थान से फरार चल रहे है जिनकी तलाश जारी है।