राजस्थान में लोकसभा चुनाव के परिणामों पर प्रदेश की सियासत को लेकर बहुत कुछ निर्भर करेगा. अब इंतजार 4 जून के नतीजों का इंतजार है. ऐसे में कार्यकर्ताओं हो या खुद कैंडिडेट, हर कोई हार-जीत का विश्लेषण करने में जुटा हुआ है. इस बार यह चुनाव साल 2014 और साल 2019 से काफी अलग है. क्योंकि इस बार कहा गया कि 2024 का चुनाव राजस्थान में मोदी लहर पर नहीं, बल्कि स्थानीय समीकरणों के बूते लड़ा गया. बीजेपी भले ही बढ़त में दिखी हो, लेकिन कांग्रेस की उम्मीदों को भी काफी पंख लगे

 

बीजेपी बनाम इंडिया गठबंधन की लड़ाई में कई सीटों पर बीजेपी को नुकसान होता दिख रहा है. अब सवाल यह है कि अगर बीजेपी का मिशन-25 पूरा नहीं हुआ तो राजस्थान की सियासत पर असर क्या होगा? इससे ज्यादा जरूरी सवाल यह भी है कि ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की भूमिका को लेकर बात होगी या फिर वसुंधरा राजे भी फ्रंटफुट पर आएंगी? ये चर्चाएं इसलिए क्योंकि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह झालावाड़-बारां सीट से मैदान में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री बेटे को जिताने के लिए खुद भी मैदान में उतरी थी. जबकि राजस्थान की अन्य सीटों पर प्रचार के दौरान वह सक्रिय नजर नहीं आईं. अन्य 24 सीटों पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और सीएम भजनलाल शर्मा समेत बीजेपी के कई नेता मोर्चा संभाले हुए थे.

अब कहा जा रहा है कि झुंझुनूं, सीकर और चूरू में कोई एक या दोनों सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है. साफ तौर पर बीजेपी के मिशन-25 इस बार मुश्किल नजर आ रहा है. जानकारों का मानना है कि बीजेपी को 16-17 सीटें और 7 से 8 सीटें इंडिया गठबंधन को मिल सकती है. अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी को इस बड़े नुकसान की स्थिति में वसुंधरा राजे को कमबैक करने का मौका मिल सकता है. चुनाव के बाद वसुंधरा राजे को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं, चर्चाएं इस बात की भी है कि अपनी नई पार्टी बना सकती है  और अपने गुट के नेताओं के साथ अलग हो सकती है. हालांकि इन कयासों में कितना दम है यह कहना अभी मुश्किल होगा.