नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के दौरान अदाणी समूह के विवाद की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की अपनी मांग का आधार मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने सेबी के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे का सहारा लेते हुए शेयर बाजार नियामक को भी सवालों के कठघरे में खड़ा किया है।

कांग्रेस का दावा

कांग्रेस के मुताबिक, हलफनामे से साफ है कि सेबी को संदेह है कि अदाणी समूह ने अपारदर्शी विदेशी फंड्स का उपयोग करके न्यूनतम पब्लिक शेयर होल्डिंग के नियमों का उल्लंघन किया है, जिसमें 20,000 करोड़ रुपए का बेनामी फंड भी शामिल हैं। बावजूद सेबी इस मामले में कुछ भी करने में विफल रहा है और इसलिए जेपीसी जांच से ही सच्चाई सामने आएगी।

क्या बोले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश

कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि नए हलफनामे में सेबी ने कथित तौर पर अपना बचाव करते हुए कहा है कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में हुए संशोधन ने उसके अपने नियमों को निरर्थक बना दिया है, लेकिन यह दिलचस्प है कि स्पष्ट रूप से संदेह होने के बावजूद कम से कम 2020 से सेबी कोई भी मामला दर्ज करने में विफल रहा है और ऐसा किया होता तो पीएमएलए के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को जांच शुरू करने का एक कारण मिलता।

'सिर्फ विपक्षी नेताओं पर ईडी का इस्तेमाल करती है सरकार'

कांग्रेस नेता ने कहा कि जब विपक्षी नेताओं पर मुकदमे की बात आती है तब मोदी सरकार अति सक्रियता से ईडी का इस्तेमाल करती है, मगर अदाणी मामले में ऐसा नहीं हुआ। सेबी बोर्ड ने 28 जून 2023 को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के कुछ वर्गों के लिए विदेशी स्वामित्व पर सख्त रिपोर्टिंग नियम पेश करने के कदम उठाए जो उसकी द्वारा की गई गलती की स्पष्ट स्वीकृति है।

सेबी की रिपोर्ट का है इंतजार- जयराम रमेश

जयराम ने कहा कि हम सेबी की 14 अगस्त को आने वाली रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं पर यह भी मानते हैं कि इसकी जांच का दायरा सीमित है और केवल जेपीसी ही पीएम मोदी और अदाणी समूह से गहरे संबंधों की जांच कर सकता है।