नई दिल्ली,  भारत और अमेरिका ने एक बार फिर पाकिस्तान को सख्त हिदायत दी है कि वह सुनिश्चित करे कि उसकी जमीन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए ना हो। पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच गुरुवार को वाशिंगटन में हुई द्विपक्षीय वार्ता में आतंकवाद और कट्टरता के बढ़ते खतरे पर काफी विस्तार से बात हुई है। इस वार्ता के बाद दोनो देशों की तरफ से जारी संयुक्त बयान में आतंकवादी गतिविधियों को सरकारी नीति के तौर पर बढ़ावा देन के पाकिस्तान को सख्त शब्दों में समझाया गया है कि उसे इन गतिविधियों को रोकना होगा।

भारत और अमेरिका वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ

भारत व अमेरिका के इस रूख से अंदरुनी राजनीतिक झंझावत में फंसे पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। पूर्व पीएम इमरान खान ने उक्त संयुक्त बयान के आधार पर पीएम शाहबाज शरीफ सरकार को घेरा है कि उन्होंने विश्व मंच पर पाकिस्तान को अप्रासंगिक बना दिया है। पाकिस्तान की मीडिया ने भी भारत व अमेरिका के संयुक्त बयान को काफी कवरेज दिया है।

उल्लेखनीय तथ्य यह है कि वर्ष 2021 में मोदी और बाइडन की पहली द्विपक्षीय वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया था। लेकिन गुरुवार को जारी संयुक्त बयान में पाकिस्तान का सीधे तौर पर नाम लिया गया है। संयुक्त बयान में कहा गया है कि, भारत और अमेरिका वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एक साथ हैं और हर तरह के आतंकवाद व कट्टरवाद की निंदा करते हैं।

आतंकियों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की अपील

मोदी और बाइडन संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अधिसूचित अल-कायद, जैश-ए- मोहम्मद, लश्यरे तैयबा, हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकियों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की अपील करते हैं। दोनो नेताओं ने सीमा पार आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की है और पाकिस्तान को कहा है कि वह सुनिश्चित करे कि उसकी जमीन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए ना हो।

दोनो नेताओं ने मुंबई हमले व पठानकोट हमले के दोषियों को सजा दिलाने की भी मांग की है। दोनो देशों की सरकारों ने आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के तहत और ज्यादा सहयोग करने की बात कही है।

आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन

पीएम मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रपति बाइडन से बैठक के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में और उसके बाद अमेरिकी संसद के संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए आंतकवाद का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया। मोदी ने कहा कि, “वर्ष 2001 में अमेरिका पर और वर्ष 2008 में मुंबई पर घातक आतंकी हमला होने के लंबा समय बीत जाने के बावजूद आंतकवाद व कट्टरवाद एक बड़ी समस्या बनी हुई है।

इस विचारधारा के लोग नये रूप बदलते रहते हैं। आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है और इससे निपटने के लिए किसी तरह की किंतु-परंतु नहीं होनी चाहिए। आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों और इसका निर्यात करने वालों से हमें निपटना होगा।

पीएम मोदी ने जिस तरह से आतंकवाद के मुद्दे को अमेरिका के साथ मिल कर उठाया है उससे पाकिस्तान में जबरस्त चिंता की लहर है। खास तौर पर वहां की मीडिया ने इसे भारतीय कूटनीति की बड़ी जीत और पाकिस्तान की नीति के हार के तौर पर देखा है।

पूर्व पीएम इमरान खान ने संयुक्त बयान की आड़ में पीएम शरीफ की सरकार पर सवाल उठाया है कि उसकी कूटनीति पूरी तरह से असफल हो गई है। खान ने यह भी कहा है कि पिछले एक वर्ष में विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कई बार अमेरिका की यात्रा की है लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ है। भारत व अमेरिका ने पाकिस्तान को सिर्फ आतंकवाद के समर्थक के तौर पर देखा है।