तिरुअनंतपरम, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद और विधान सभाओं में राजनीतिक रणनीति के तौर पर व्यवधान को हथियार बनाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर सोमवार को चिंता जताई। उन्होंने सांसदों एवं विधायकों से लोकतंत्र के मंदिरों में अपना अधिकतम योगदान देने के लिए अपने रिमोट कंट्रोल को निष्प्रभावी बनाने का आह्वान किया।
रिमोट कंट्रोल को निष्प्रभावी बनाने की जरुरत- उपराष्ट्रपति
धनखड़ ने केरल विधानसभा भवन नियमसभा के रजत जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि लोग सवाल कर रहे हैं कि संसद और विधायिकाएं क्यों बहस और चर्चा नहीं कर रही हैं और हम व्यवधान के लिए क्यों करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं? धनखड़ ने कहा
मैं राज्यसभा की अध्यक्षता करता हूं। राज्यसभा के सभी सदस्य काफी प्रतिभाशाली हैं। वे काफी अनुभव लेकर सदन में आते हैं। उन्हें अपने रिमोट कंट्रोल को निष्प्रभावी बनाने की आवश्यकता है ताकि वे राज्यसभा में, संसद में, विधायिका में अधिकतम योगदान दे सकें।
विचार-विमर्श के लिए होना चाहिए लोकतंत्र के मंदिरों का उपयोग
उपराष्ट्रपति ने विधानसभा अध्यक्षों और सदनों के नेताओं से राष्ट्रीय सहमति बनाने का आग्रह किया कि लोकतंत्र के मंदिरों का उपयोग विचार-विमर्श, बहस, संवाद और चर्चा के लिए किया जाएगा। धनखड़ ने कहा कि अगर लोकतंत्र के ये मंदिर अपना काम नहीं करेंगे तो लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा हो जाएगा और यह काम कहीं और होगा।
संसदीय और विधायी कामकाज से कटाक्ष गायब होने पर उठाया सवाल
उन्होंने अफसोस जताया कि हास्य और कटाक्ष कभी संसदीय और विधायी कामकाज की पहचान थे, वे अब गायब हो गए हैं। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, विधानसभा अध्यक्ष ए एन शमसीर, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी डी सतीसन ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
धनखड़ ने केरल की अपनी स्कूल अध्यापिका से मुलाकात की
उपराष्ट्रपति अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के साथ पन्नियानूर ग्राम पंचायत क्षेत्र में रहने वाली अपनी अध्यापिका रत्ना नायर से मिले, जो इतने वर्षों के बाद अपने छात्र को देखकर बहुत खुश हुईं। शिक्षिका ने उपराष्ट्रपति से कहा कि इससे बेहतर गुरु दक्षिणा नहीं हो सकती।
अध्यापिका ने नारियल पानी से किया उपराष्ट्रपति का स्वागत
उन्होंने कहा कि अध्यापिका और उनके परिवार ने उपराष्ट्रपति का नारियल पानी से स्वागत किया और उन्हें एवं उनकी पत्नी को घर में बनी इडली और केले के चिप्स परोसे। हालांकि, नायर के कई छात्र उच्च पदों पर हैं जिनमें से ज्यादातर सशस्त्र बलों और पुलिस में हैं, लेकिन यह पहली बार है कि उनमें से एक देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर है और अध्यापिका को अपने 'जगदीप' पर गर्व है।
हली पंक्ति में बैठने वाले छात्र थे धनखड़
उन्होंने धनखड़ को खाकी में एक युवा लड़के, पहली पंक्ति में बैठने वाले, पूरी तरह से कक्षा पर ध्यान केंद्रित करने वाले छात्र के रूप में याद किया। नायर ने कहा कि वह एक बहुत ही सक्रिय, अनुशासित और आज्ञाकारी लड़का था, जिसने कक्षा के अंदर और बाहर सभी गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।