नई दिल्ली, महाराष्ट्र की राजनीति में मंगलवार को बड़ा धमाका हुआ। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष के पद से शरद पवार ने इस्तीफा देने का एलान कर दिया। अपनी आत्मकथा ‘लोक माझे सांगाती’ (लोग मेरे साथी) के लोकार्पण के मौके पर पवार ने अचानक इस्तीफे का एलान कर दिया। महाराष्ट्र की राजनीति में हुए नए बदलाव के बीच एनसीपी नेता और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले का एक बयान याद आ रहा है।
15 दिन में होंगे दो राजनीतिक विस्फोट: सुप्रिया सुले
सुप्रिया सुले ने 15 दिन पहले महाराष्ट्र और दिल्ली में दो राजनीतिक विस्फोट की भविष्यवाणी की थी। सुप्रिया ने संकेत दिया था कि अगले 15 दिन में दो बड़े राजनीतिक विस्फोट होने वाले हैं। इनमें से एक दिल्ली में और एक महाराष्ट्र में होगा। शरद पवार के इस्तीफे को महाराष्ट्र की राजनीति में वही विस्फोट माना जा रहा है। अब सवाल उठता है कि दिल्ली की राजनीति में क्या बड़ा होने वाला है।
फूट-फूटकर रोने लगे कार्यकर्ता
मुंबई में यशवंतराव चह्वाण प्रतिष्ठान के सभागार में शरद पवार के अचानक एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के एलान से कई लोग हैरान रह गए। शरद के इस्तीफे का एलान करते ही कई नेता और कार्यकर्ता रोने लगे। इस दौरान उन्हें मनाने की कोशिश भी की गई। तीन दिन पहले ही पवार ने मुंबई में पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं के एक शिविर में कहा था कि अब रोटी पलटने का वक्त आ गया है। तब उनके इस वक्तव्य की चर्चा तो हुई थी, लेकिन किसी को अनुमान नहीं था कि वह स्वयं के ही पद छोड़ने का संकेत दे रहे हैं।
धरने पर कार्यकर्ता
पवार के करीबी समझे जाने वाले पूर्व मंत्री जीतेंद्र आह्वाड ने रोते हुए ही उनसे अपना निर्णय वापस लेने की मांग की। पार्टी के कई कार्यकर्ता यशवंतराव चह्वाण प्रतिष्ठान की सीढ़ियों पर ही धरना देकर बैठ गए। शाम करीब चार बजे सुप्रिया सुले ने अपने मोबाइल फोन को स्पीकर पर डालकर पिता शरद पवार से बात की और पवार ने भी कार्यकर्ताओं को नाश्ता-भोजन करने और घर जाने का निर्देश दिए। कार्यकर्ता लगातार ‘शरद पवार इस्तीफा वापस लो’ का नारा लगा रहे थे।
एक मई को लिया था फैसला
अजित पवार ने बताया कि शरद पवार ने एक मई को ही पद छोड़ने का फैसला कर लिया था, लेकिन महाराष्ट्र के स्थापना दिवस के मौके पर महा विकास आघाड़ी द्वारा प्रस्तावित रैली को देखते हुए उन्होंने घोषणा नहीं की। अजित ने कहा, ‘उन्होंने अपना निर्णय ले लिया है, लेकिन आप सभी के आग्रह को देखते हुए अपने निर्णय पर पुनर्विचार के लिए उन्हें दो तीन दिन का समय चाहिए।’