इलाज के नाम पर तांत्रिक ने बच्चों को गर्म राड से दागा, स्थिति बिगड़ी तो स्वजन लाए अस्पताल

जिले के कई छोटे बच्चों को निमोनिया की शिकायत अक्सर हो जाती है। ऐसे में उनके माता-पिता बच्चों को ठीक करने के लिए तांत्रिकों का सहारा लेते हैं।

वे लोहे की राड को गर्म कर बच्चों सीने पर निशान बना देते हैं। इस चक्कर में कई दिनों तक माता-पिता बच्चों को अस्पताल लेकर नहीं आते। जब स्थिति बिगड़ती है तो अस्पताल लेकर आते हैं। ऐसा ही मामला झाबुआ जिले में हुआ।

ग्राम पिल्याखादन का सात माह का अजय, गांव हड़मतिया की दो वर्षीय मेशरा तथा गांव समोई की छह माह की कृष्णा और खेड़िया गांव का राजवीर जिला अस्पताल में भर्ती है। इनके स्वजन उसे सर्दी-जुकाम होने से सांस लेने में दिक्कतें आने पर तांत्रिकों के पास लेकर गए।

तांत्रिकों ने राड गर्म कर बच्चों के शरीर पर निशान बना दिए। स्वजन ने 20 दिनों तक बच्चों को तांत्रिक के बताए अनुसार टोटके किए, लेकिन स्थिति बिगड़ी तो उन्हें जिला अस्पताल लेकर आए। फिलहाल तीनों ही बच्चों का उपचार जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में किया जा रहा है। एक बच्चे को अभी भी सांस लेने में दिक्कत आ रही है। 

बार-बार पूछने पर भी नहीं बोले

बच्चों के स्वजन से बार-बार पूछा गया कि वे किस तांत्रिक के पास अपने बच्चों को लेकर गए थे, लेकिन उन्होंने कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया। बच्चों के एक रिश्तेदार ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की तांत्रिक क्रिया की जाती है। ग्रामीणों को लगता है कि तांत्रिक क्रिया से बच्चा ठीक हो जाएगा। जिले के करीब-करीब हर गांव में ऐसा किया जाता है। 

स्थिति बिगड़ने पर ही लाते हैं अस्पताल

जिला अस्पताल के एसएनसीयू प्रभारी डाक्टर आइएस चौहान ने बताया कि इस तरह के मामले अक्सर आते रहते हैं। बच्चों को निमोनिया होने पर सांस लेने में दिक्कतें आ जाती हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को अस्पताल लेकर आएं, लेकिन माता-पिता तांत्रिक क्रिया कराने पहुंच जाते हैं, जिससे बच्चों का निमोनिया और अधिक बढ़ जाता है। कभी-कभी तो बच्चों की मौत भी हो जाती है।