झारखंड के चतरा जिले के लावालौंग प्रखंड क्षेत्र के नौडीहा-गरहे जंगल में मुठभेड़ के दौरान पांच माओवादियों को ढेर कर देने के अभियान के पीछे पुलिस अधीक्षक राकेश रंजन के उस सूचना तंत्र का ही कमाल है, जिसका जाल उन्होंने जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काफी गोपनीय तरीके से फैला रखा है। इस बात की पुष्टि उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के पुलिस उपमहानिरीक्षक नरेंद्र कुमार सिंह ने भी की है
बरामद हथियारों को उग्रवादियों ने पुलिस से ही लूटा था
लावालौंग के नौडीहा जंगल में मुठभेड़ के दौरान मारे गए नक्सलियों के पास से दो एके-47, एक इंसास राइफल तथा दो देसी राइफल बरामद हुआ है। नक्सलियों के पास से बरामद हुए सभी हथियारों को नक्सलियों ने पुलिस से ही लूटा था।
पुलिस उपमहानिरीक्षक ने बताया है कि बरामद हथियार पुलिस के ही हैं इस बात की पुष्टि हो गई है। लेकिन इन हथियारों को नक्सलियों ने देश के किस क्षेत्र में पुलिस से लूटा था इस बात की जानकारी एकत्रित की जा रही है। इसके लिए देश के सभी थाना क्षेत्रों में वायरलेस के माध्यम से सूचना दे दी जाएगी।
चितरंजन की मौत का लिया गया बदला
लावालौंग के नौडीहा जंगल में पांच दुर्दांत नक्सलियों को मौत के घाट उतार कर हमारे जवानों ने हवलदार चितरंजन की मौत का बदला पूरा किया है। यह बात पुलिस उपमहानिरीक्षक ने कही है। उन्होंने बताया है कि बीते अक्टूबर माह में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में हवलदार चितरंजन की मौत हो गई थी। चितरंजन की मौत से पुलिस के जवानों को काफी सदमा लगा था। लेकिन आज पुलिस के जवानों ने पांच दुर्दांत नक्सलियों को मौत के घाट उतार कर चितरंजन की मौत का बदला पूरा किया है।
भविष्य में भी नक्सलियों के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई जारी रहेगी। पुलिस उपमहानिरीक्षक ने दो टूक शब्दों में यह भी कहा है कि नक्सली सरकार के सरेंडर पालिसी को मानते हुए आत्मसमर्पण कर दें। नहीं तो बचे खुचे नक्सलियों का भी यही अंजाम होगा।
इस तरह से बनाया गया था पूरा प्लान
पुलिस उपमहानिरीक्षक ने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए स्पष्ट रूप से बताया है कि लावालौंग के नौडीहा जंगल में माओवादियों के आगमन की सूचना पुलिस अधीक्षक राकेश रंजन को प्राप्त हुई थी। इसी सूचना के आधार पर माओवादियों को घेरने की रणनीति बनाई गई। इस रणनीति में कोबरा बटालियन के जवानों के साथ चतरा एवं पलामू जिला के पुलिस बल को भी शामिल किया गया।