ये कैसी अंधभक्ती! बागेश्वर सरकार की कथा में नहीं ले गया पति, पत्नी ने दे दी जान

मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक महिला ने जरा सी बात पर आत्महत्या कर ली. पति द्वारा बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कथा में न ले जाने की बात पर पत्नी ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली.

जबलपुर। मध्यप्रदेश में इन दिनों बाबाओं का बोलबाला है. पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और पंडित प्रदीप मिश्रा की दीवानगी उनके भक्तों में सिर चढ़कर बोल रही है. इनकी कथाओं में भक्तों का हुजूम उमड़ रहा है. प्रदेश के जबलपुर जिले में बागेश्वर सरकार की दीवानगी का एक अलग ही मामला देखने मिला. जबलपुर के कंचनपुर में एक पति पत्नी को बागेश्वर सरकार के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की भागवत कथा में लेकर नहीं गया, जिसका खामियाजा उसे पत्नी की मौत से चुकाना पड़ा.

क्या है घटनाक्रम: सुनील चौधरी 27 मार्च को अपने घर से सुबह निकले. उसके पहले उनकी पत्नी पल्लवी चौधरी ने सुनील से जिद की थी कि आज वह पनागर में होने वाली बागेश्वर धाम के महंत पंडित धीरेंद्र शास्त्री की भागवत कथा को सुनने के लिए जाएंगे. इस वजह से पल्लवी सुबह से ही तैयार बैठी हुई थी, लेकिन सुनील अपनी बीमार मां को लेकर जबलपुर के एक बड़े अस्पताल पहुंचे. जहां डॉक्टरों ने उनकी बुजुर्ग मां के घावों को देखा तो उन्हें जांच की सलाह दी और इसके बाद डॉक्टर ने उनसे कहा कि इनका एक बड़ा ऑपरेशन होगा. इस पूरे घटनाक्रम में सुनील को घर लौटने में देरी हो गई.

क्या हुआ पल्लवी के साथ: घर पर पल्लवी दिन भर से इंतजार कर रही थी कि सुनील उन्हें पंडित धीरेंद्र शास्त्री के प्रवचन सुनाने के लिए ले जाएंगे, लेकिन जब सुनील मां को लेकर घर पहुंचे तब तक शाम के 5 बज चुके थे. थके हारे सुनील चौधरी ने घर का दरवाजा खटखटाया तो पल्लवी ने दरवाजा नहीं खोला. सुनील को लगा कि उनकी पत्नी गुस्से में गेट नहीं खोल रही है. काफी देर तक जब आवाज नहीं आई तो सुनील ने खिड़की से झांक कर देखा और देखते ही उसके होश उड़ गए, क्योंकि पल्लवी ने आत्महत्या कर ली थी.

पंडित धीरेंद्र शास्त्री की वजह से बर्बाद हुआ घर: सुनील का कहना है कि उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई है. उनके दो बच्चे हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि अब बिना पल्लवी के वे इन बच्चों को कैसे पालेंगे. पल्लवी बागेश्वर धाम के महंत पंडित धीरेंद्र शास्त्री की अंधभक्त थी और लगातार टीवी और मोबाइल पर उनके प्रवचन सुनती थी और उनके चमत्कार देखती थी. पल्लवी के घर में बाबा के कहे अनुसार खाना बनता था. उसी ढंग से पूजा-पाठ होती थी. बाबा जो कह देते थे उसी को पल्लवी मानती थी. पल्लवी को उम्मीद थी कि बाबा के आशीर्वाद से उनके घर की बेरोजगारी गरीबी और बीमारी खत्म हो जाएगी, लेकिन जब पल्लवी को लगा कि उसके पति उसे जानबूझकर पंडित धीरेंद्र शास्त्री की भागवत कथा सुनाने नहीं ले जा रहे हैं तो वह हार गई और उसने आत्महत्या कर ली.

अधारताल थाने में मर्ग कायम: इस घटना के बाद जबलपुर के अधारताल थाने में मामला दर्ज किया गया है. फिलहाल पल्लवी की मौत के लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया गया है. कानूनी तौर पर इसमें किसी को दोषी ठहराया भी नहीं जा सकता.