नई दिल्ली:  

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुरुवार को अपनी चार राज्य इकाइयों के लिए नए प्रमुखों की नियुक्ति कर दी. 2024 लोकसभा समर (Loksabha Elections 2024) से पहले इस साल बचे आधा दर्जन राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इसे बीजेपी की जातिगत समीकरणों (Caste Politics) को साधने की एक कोशिश करार दिया जा सकता है. सबसे पहले बात करते हैं बिहार (Bihar) की. बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) द्वारा जोड़े गए लव-कुश यानी कुशवाहा-कुर्मी संयोजन के बीच भगवा संगठन ने मुखर कुशवाहा नेता सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) को बिहार इकाई का प्रमुख नियुक्त किया. राजस्थान में चुनावी मैदान में एक ब्राह्मण सीपी जोशी को प्रमुख चुना. पार्टी ने ओडिशा में जिम्मेदारी के लिए मनमोहन सामल को चुनते हुए दिल्ली के अंतरिम प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा को पूर्ण प्रमुख बनाने की पुष्टि कर दी. माना जा रहा है कि बीजेपी अगले साल लोकसभा चुनावी समर के मद्देनजर अभी से अपने कील-कांटे दुरुस्त करने में जुट गई है.

नीतीश के खिलाफ आक्रामकता सम्राट को मिली विरासत में

बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता 54 वर्षीय सम्राट चौधरी लोकप्रिय कुशवाहा नेता शकुनि चौधरी के पुत्र हैं. कभी शकुनि चौधरी राजनीतिक बिसात और चालों के मद्देनजर फिलवक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के न सिर्फ सहयोगी, बल्कि बेहद विश्वस्त हुआ करते हैं. शकुनि चौधरी ने बिहार की जातिगत प्रधान राजनीति में कुशवाहा समाज को अपने संग जोड़ गैर-यादव ओबीसी का एक बड़ा मोर्चा बनाकर नीतीश कुमार को जबर्दस्त राजनीतिक फायदा पहुंचाया था. हालांकि बदलते वक्त के साथ शकुनि और नीतीश कुमार के बीच दूरियां पनपनी शुरू हुईं और शकुनि अंततः नीतीश के साये से अलग हो गए. फिर वह नीतीश कुमार के मुखर आलोचक के रूप में सामने आए, जिसकी जिम्मेदारी अब उनके सुपुत्र सम्राट चौधरी बखूबी निभा रहे हैं. कह सकते हैं कि सम्राट को नीतीश के प्रति नाराजगी विरासत में मिली है. ऐसे में उम्मीद की जाती है कि वह बीजेपी राज्य प्रमुख की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश के खिलाफ अपनी आक्रामकता और बढ़ाएंगे. सम्राट की नियुक्ति नितीश खेमे से उन्हीं की जाति के एक महत्वपूर्ण नेता उपेंद्र कुशवाहा के दलबदल के मद्देनजर हुई है. सम्राट का उद्देश्य संख्यात्मक रूप से कमजोर कुर्मी जाति के सापेक्ष कुशवाहा समाज को कम वरीयता देने से उपजी नाराजगी को भड़काना और भुनाना है. बिहार में कुर्मी ताकतवर तबका है और नीतीश भी उसी जाति से आते हैं. नीतीश कुमार की जद (यू) इस राजनीतिक जोखिम को समझ रही है इसीलिए उसने चार कुशवाहा को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया है. हालांकि कुशवाहा समाज के लिए नीतीश का यह प्रयास निरर्थक ही है.