गूगल के सीईओ सुन्दर पिचाई ने 12,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की घोषणा की है। दुनिया की बड़ी टेक कंपनियों में हो रही छंटनी के बीच गूगल का मामला लेटेस्ट है। पिछले कुछ दिनों में माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर, फेसबुक जैसी बड़ी टेक कंपनियों ने अपने हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकालकर घर बिठा दिया है।

कोविड के दौरान मास हायरिंग की, लेकिन अब डिमांड नहीं है

टेक कंपिनयों ने कोविड महामारी के दौर में लगभग हर चीज को ऑनलाइन उपलब्ध कराने के लिए बड़े इन्वेस्टमेंट किए। इस दौरान ऑनलाइन क्लास, मीटिंग्स जैसे प्लेटफॉर्म्स से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग और खाने की डिलीवरी कर रही कंपनियों ने अपना बिजनेस बढ़ाया।

इन कंपनियों ने बड़ी संख्या में लोगों को नौकरियां देकर मार्केट की डिमांड पूरी की। मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने अपनी कंपनी के 13% यानी 11,000 कर्मचारियों की छंटनी की वजह कोविड महामारी के दौरान की गई मास हायरिंग को बताया था।

स्टार्टअप्स को नहीं मिल रहे हैं इन्वेस्टर्स

लगातार वर्ल्ड बैंक और वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम जैसे संस्थानों से वैश्विक मंदी की चेतावनी मिलने की वजह से स्टार्टअप इको सिस्टम लड़खड़ा रहा है। स्टार्टअप्स आमतौर पर इन्वेस्टर्स से मिले रिस्क कैपिटल के भरोसे अपना बिजनेस आगे बढ़ाते हैं।

ट्रक्सन, ग्लोबल स्टार्टअप डेटा प्लेटफॉर्म के मुताबिक साल 2022 में भारत में 266 टेक स्टार्टअप कंपनियां फंडिंग न मिल पाने की वजह से बंद हो गईं।

कंपनियों पर खर्च कम करने का दबाव बना रहे हैं इन्वेस्टर्स

किसी स्टार्टअप या कंपनी को फंडिंग मिलने के बाद होने वाले मुनाफे से इन्वेस्टर्स को रिटर्न चुकाना होता है। मार्केट में डिमांड कम होने की वजह से कंपनियों की कमाई कम हुई। ऐसे में रिटर्न चुकाने के लिए कंपनियां खर्चे कम करने की कोशिश करती हैं। इसी का नतीजा है कि लोगों को नौकरी से निकाला जा रहा है।

छंटनी का सबसे बड़ा कारण वैश्विक मंदी को माना जा रहा है। मार्केट में सुस्ती आई है। महामारी और रूस-यूक्रेन जंग की वजह से अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई में काफी-उतार चढ़ाव आया। चीन, ब्रिटेन, अमेरिका, भारत और जापान जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था में इसका असर देखने को मिला है।

जरूरी सामान जैसे अनाज, दवाइयां और क्रूड ऑयल की सप्लाई चेन बिगड़ी और डिमांड बढ़ती गई। इसकी वजह से महंगाई बढ़ गई। पिछले साल भारत में महंगाई दर लगातार 9 महीने तक आरबीआई की तय सीमा 6% से ऊपर रही। 1982 के बाद जून 2020 में अमेरिका की महंगाई दर 9.1% के सबसे ऊंचे स्तर पर थी।