गौतम बुद्ध से जुड़ा प्रसंग है। गौतम बुद्ध जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए सूत्र बताया करते थे। वे रोज अपने शिष्यों को उपदेश देते थे। काफी लोग उनकी बातें सुनते थे, इस वजह से लोगों की उनके लिए आस्था भी थी।

एक बूढ़ी महिला गौतम बुद्ध को बहुत मानती थी। एक दिन उसके बेटे की मृत्यु हो गई। बेटे की मृत्यु पर मां बहुत दुखी थी। वह तुरंत ही गौतम बुद्ध के पास पहुंची और पूरी बात बताई। महिला ने कहा कि आप मेरे बेटे को फिर से जिंदा कर दीजिए।

महिला बुद्ध को भगवान मानती थी, उसे लगता था कि वे उसके बेटे को जीवन दान दे सकते हैं।

महिला की बातें सुनकर बुद्ध ने कुछ देर सोच-विचार किया। सोचने के बाद बुद्ध बोले कि इसके लिए तुम्हें गांव के किसी एक घर से एक मुट्ठी सरसों के दाने लेकर आना होंगे, लेकिन एक बात ध्यान रखना, घर ऐसा हो, जहां कभी किसी मृत्यु नहीं हुई हो।

महिला बेटे के मरने से बहुत दुखी थी तो उसे एक उम्मीद मिल गई कि उसका बेटा फिर से जिंदा हो सकता है। बुद्ध की बात मानकर वह गांव की ओर निकल गई और घर-घर जाकर एक मुट्ठी सरसों के दाने खोजने लगी।

महिला घर-घर जाकर पूछ रही थी कि अगर इस घर में किसी की मृत्यु नहीं हुई हो तो मुझे एक मुट्ठी सरसों के दाने दे दो।

जहां-जहां महिला जाती, वहां उसे ये जवाब मिलता कि उनके घर में मृत्यु तो हुई है। किसी के घर में पिता, किसी के घर में माता, किसी पत्नी तो किसी के पति और किसी की संतान की मृत्यु हुई थी।

पूरे गांव के एक-एक घर में महिला ने सरसों के दाने मांगे, लेकिन सफलता नहीं मिली। अंत में उसे समझ आ गया कि बुद्ध ने उसे ऐसा करने के लिए क्यों कहा है। महिला समझ चुकी थी कि मृत्यु अटल है और सभी को एक दिन मरना ही है।

जब वह बुद्ध के पास लौटकर आई तो उसका मन शांत हो चुका था। बेटे के मरने का दुख था, लेकिन उसकी व्याकुलता खत्म हो गई थी।

बुद्ध की सीख

इस प्रसंग में बुद्ध में संदेश दिया है कि हर एक व्यक्ति की मृत्यु तय है, इसलिए किसी के मरने पर बहुत ज्यादा शोक नहीं करना चाहिए। अपनी मृत्यु को लेकर भी मन में डर न रखें। दुखी होकर वर्तमान खराब न करें।