उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सोमवार को 3.1 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने इसकी जानकारी दी. झटके महसूस होते ही लोग अपने घरों से बाहर निकल आए. फिलहाल इस दौरान किसी तरह के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप की गहराई जमीन से पांच किलीमीटर के नीचे थी. भूकंप के झटके देर रात 1 बजकर 50 मिनट पर महसूस किए गए. इससे पहले 16 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के किनौर जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए. 

रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 2.8 मापी गई थी. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र का कहना है कि भूकंप के झटके रात 10 बजकर 2 मिनट पर महसूस किए गए थे. हालांकि इसकी वजह से किसी तरह के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ था. महाराष्ट्र में भी 15 दिसंबर को भूकंप के झटके महसूस किए गए. महाराष्ट्र की सांगली में करीब 5:18 बजे ये भूकंप आया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता 2.7 मापी गई थी. इसके साथ भूकंप का केंद्र जमीन से 5 किमी अंदर देखा गया. 

भूकंप आने की वजह

वैज्ञानिक आधार पर पृथ्वी की टैक्टोनिक प्लेटों के घर्षण की वजह से भूकंप की स्थिति आती है. धरती में तरल लावा है. यहां प्लेट्स लगातार तैरती की अवस्था में रहती हैं. कई बार ये आपस में टकराती हैं. इस बीच बार—बार प्लेटों के टकराने से कई बार इनके कोने पर घर्षण होता है और ज्यादा दबाव आने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं. इस तरह से नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है. इससे भूकंप आता है.