उम्र की मोहताज नहीं होती साहित्य की सृजनयात्रा - डॉ. नागौरी
वरिष्ठ साहित्यकार विजयवर्गीय के कहानीसंग्रह ‘तीसरा मोड़’ का हुआ विमोचन

बून्दी। सृजन यात्रा उम्र की मोहताज नहीं होती, यह सिद्ध किया हैं साहित्यकार दिनेश विजयवर्गीय ने। ऐसा कहना है डॉ. एस.एल.नागौरी का। अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. नागौरी ने कहा कि निस्वार्थ भाव से निरन्तर साहित्य सृजन में संलग्न साहित्यकार दिनेश विजयवर्गीय की कलम से बून्दी की कोई भी प्रतिभा अछूती नहीं रही। इन्होंने बून्दी की प्रतिभाओं को सामने लाने का कार्य भी बखुबी किया हैं। वहीं संयुक्त शिक्षा निदेशक तेजकंवर ने इस सृजन यात्रा में संलग्न रही शकुन्तला विजय का भी आभार जताते हुए कहा कि स्त्री समर्पण व सहयोग ही इस सृजनयात्रा में महत्चवपूर्ण रहा हैं।


अपने जीवन के 8 दशक व्यतीत कर चुके वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश विजयवर्गीय के कहानी संग्रह ‘तीसरा मोड़’ का विमोचन वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. एस.एल.नागौरी की अध्यक्षता और संयुक्त शिक्षा निदेशक तेज कंवर के मुख्यातिथ्य में संपन्न हुआ। ‘तीसरा मोड़’ कहानी संग्रह के विमोचन समारोह में आदिवासी विमर्श के चिंतनशील लेखक प्रोफे. रमेश चंद मीणा, पेंशनर समाज के अध्यक्ष व शिक्षाविद् चतुर्भुज महावर, रेडक्रॉस के सचिव अशोक विजय, रचनाकार रामस्वरूप मूंदड़ा, सूर्यप्रकाश पाठक, रोटरी क्लब के गर्वनर घनश्याम जोशी, लीडर ट्रेनर स्काउट देवी सिंह सैनानी व बाल कल्याण समिति के सदस्य छुट्टन लाल शर्मा भी मंचासीन रहे।


कार्यक्रम में साहित्यकार दिनेश विजयवर्गीय ने ‘तीसरा मोड़’ में वर्णित कहानियों के बारे में बताते हुए सभी को कहानी लेखन की विधा से अवगत करवाया। इन्होंने कहा कि गद्य लेखन की एक रचनात्मक प्रक्रिया कहानी लेखन में घटनाओं का क्रम लिखा जाता है, जिसका मकसद पाठकों को मनोरंजन करना, शिक्षित करना, और जानकारी देना होता है। कहानी लेखन में पात्र, सेटिंग, और संघर्ष शामिल होते हैं। कार्यक्रम में शिक्षाविद चतुर्भुज महावर, रोटरी क्लब के गवर्नर घनश्याम जोशी व रिशिका विजय ने भी संबोधित किया।
स्त्री चेतना पर आधारित हैं कहानीसंग्रह ‘तीसरा मोड़’

कहानीसंग्रह ‘तीसरा मोड़’ की समीक्षा करते हुए प्रोफे. रमेश चंद मीणा ने कहा कि दिनेश विजयवर्गीय के कहानी संग्रह ’तीसरा मोड़’ में स्त्री चेतना पर आधारित सभी 20 कहानियों में स्त्री पात्र को परिवार, गृहस्थी और दाम्पत्य जीवन देखने के साथ-साथ शिक्षा लेकर अपनी पहचान बनाने वाली के रूप में प्रस्तुत किया है। अधिकांश कहानियों में स्त्री पात्र प्रमुख भूमिका में होने से यह संग्रह स्त्री चेतना पर आधारित है। इस दौरान डॉ. राजेंद्र कुमार निर्मल, गजलकार सूर्यप्रकाश पाठक ने भी कहानी संग्रह की समीक्षा प्रस्तुत की।


लेखक परिचय प्रस्तुत करते हुए उमंग संस्थान के सचिव कृष्ण कांत राठौर ने दिनेश विजयवर्गीय बाल कथाकार के साथ साहित्यिक पत्रकार भी रहे हैं। इनके दो बाल कहानी संग्रह, कविता संग्रह सहित 5 पुस्तकें पूर्व में प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें राजस्थान साहित्य अकादमी के शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार, सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार, राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान सहित विविध राज्य स्तरीय सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। कार्यक्रम पश्चात् साहित्यकार दिनेश विजय ने जिला कलक्टर अक्षय गौदारा सहित प्रमुख पदाधिकारियों सहित पुस्तकालयों को कहानीसंग्रह तीसरा मोड़ की प्रतियां भी भेंट की।


जीवन परिचय देते हुए संयोजक व समन्वयक सर्वेश तिवारी ने बताया कि वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश विजयवर्गीय 80 वर्ष की आयु में भी निरन्तर साहित्य सृजन में लगे हुए हैं, इनका एक ओर संग्रह जल्द ही प्रकाशित होने वाला हैं। अंत में कपिल विजयवर्गीय ने आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में रोटेरियन के. सी. वर्मा, इंटेक के कंवीनर राजकुमार दाधीच, सकल जैन समाज के रविन्द्र जैन काला पुरूषोत्तम पारीक, अशोक तलवास, मुकेश दाधीच, विजेन्द्र माहेश्वरी, राजेन्द्र सिंह हाड़ा, भूपेन्द्र शर्मा, रामराज अजमेरा, मुक्तिदत्त शर्मा, अजय चौधरी, सोभाग शर्मा, ज्योति राठौर सहित प्रबुद्धजन मौजूद रहे।