राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वाहन पर आज सभी बिजली कम्पनियों के कर्मचारी और अधिकारीयों ने जिला मुख्यालय पर कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया और निजीकरण को बंद करने की मांग करी।

ज्ञापन के माध्यम से विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया कि उत्पादन निगम में पावर प्लांट का ज्वाइंट वेंचर, प्रसारण निगम के GSS को कलस्टर पर दिया जाना ओर वितरण निगम में HAM मॉडल के रूप में निजीकरण को तुरंत प्रभाव से निरस्त किया जाए। पूरे बिजली विभाग का अलग अलग रूप में निजीकरण करना सरकार की गलत मंशा को दर्शाता है। राज्य के संपूर्ण विद्युत विभाग का निजी हाथों में जाना एक चिंता जनक विषय है। पांचों बिजली कम्पनियों में अलग अलग चालू हुआ विरोध प्रदर्शन अब एक होता जा रहा है। राज्य के समस्त बिजली कर्मचारी और विद्युत विभाग की सभी यूनियन अब एकजुट होकर निजीकरण के खिलाफ हल्ला बोल चुकी है। ज्ञात रहे कि छबड़ा थर्मल पावर प्लांट में पिछले 42 दिन से विरोध प्रदर्शन जारी है जिसकी कड़ी में कभी 2 दिन पूर्व ही सद्बुद्धि हवन भी किया गया। पूरे विद्युत विभाग के एक साथ आने से प्रशाशन के माथे पर चिंता की लकीरें आना शुरू हो गई है। निजीकरण जैसी बीमारी से लड़ने के लिए आम जनता भी आगे आ रही है। पूरे विद्युत विभाग के तकनीकी कर्मचारी और अभियंता अपनी मेहनत ओर जिम्मेदारी से राज्य को बिजली बनाने से लेकर निर्बाध बिजली पहुंचाने का कार्य करते है परंतु फिर भी सरकार अपने विद्युत निगम को निजी हाथों में देना चाहती है। सरकार अपनी ही गलत नीतियों से घाटे मे आ चुके बिजली विभाग को बेचने पर आमादा है। किसी भी सरकारी उपक्रम को बेचना किसी समस्या का हल नहीं है। राज्य सरकार को समझना चाहिए कि वह अपने विद्युत तंत्र के घाटे के कारणों की समीक्षा करे और उन घाटों से उबरने पर कार्य करे। अब चूंकि समस्त बिजली विभाग एकजुट हो रहा है तो राज्य सरकार को जल्द ही इस निजीकरण को रोकने पर कार्यवाही आरंभ करनी होगी क्योंकि अगर बिजली कर्मचारियों की मांगे नहीं मानी गई तो प्रदेश का पूरा बिजली विभाग हड़ताल पर जा सकता है जिस से की प्रदेश की बिजली व्यवस्था चरमरा सकती है।