श्री जैन दिवाकर पावन तीर्थ एवं शोध संस्थान समिति की और से बल्लभ बाडी स्थित श्री जैन दिवाकर दरबार में चातुर्मास 2024 का आयोजन किया जा रहा है।
जिसमें उप प्रवर्तक श्री राकेश मुनि जी महाराज साहब अपने प्रवचन से सभी को कृतार्थ कर रहे हैं। सोमवार को महाराज साहब ने कहा कि राकेश मुनि जी महाराज ने कहा कि जिनवाणी निग्रंथ का हम सेवन कर रहे हैं, अध्ययन कर रहे हैं, हमने 16 अध्याय में चिंतन मनन किया होगा, इसमें जीवन का सार नजर आ जाएगा। जिनवाणी इतनी सारगर्भित वाणी है और इसका अनुसरण आचरण कर ले तो इस भव में मनुष्य की आत्मा का सुंदर रूप बन जाएगा। उन्होंने कहा कि अज्ञानता का चश्मा हमारी आंखों पर लगा हुआ है, हमारे जीवन में ज्ञान का अवतरण हो सकता है, लेकिन आत्मा को ज्ञान प्राप्त नहीं होता, ज्ञान को चिंतन, विचार में नहीं लिया, उसका अनुसरण नहीं किया गया। महाराज साहब ने कहा कि जो अभियान के अंदर रमण करता है उसको ज्ञान नहीं मिलता, जिसके अंदर मन शांत नहीं है, रोगों से उलझा हुआ है वह भी ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर सकता। ज्ञान चाहिए तो जीवन के अंदर अपने आप को बदलने का भाव रखना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जितनी साधना और आराधना की जाए उतनी कम है। पढ़ा लिखा तो कहीं भी मिल जाएगा लेकिन जिन्हें अनुभव का ज्ञान है वह कम मिलेंगे। जब हमारा अभिमान, धमंड खत्म होगा तब जाकर समाज और संघ जुड़ता है। उन्होंने महाराज श्री जैन दिवाकर पूज्य गुरुदेव श्री चौथमल जी महाराज के बारे में भी विस्तार से बताया और उनकी उपलब्धियां उनके द्वारा किए गए कार्य,उनका त्याग, बलिदान उनकी वाणी के संदर्भ में श्रावकों को बताया। साध्वी सुदर्शना जी एवं साध्वी श्याम जी ने कहा कि नकारात्मक सोच व्यक्ति के जीवन में रोड़ा बनकर अटक जाती है और व्यक्ति को कभी भी आगे नहीं बढ़ने देती है। व्यक्ति को उपलब्धियां प्राप्त नहीं होने देती, उन्होंने कहा कि आज का व्यक्ति धर्म में पीछे छुटता जा रहा है। निरर्थक कामों में समय बर्बाद कर रहा है लेकिन धर्म के अंदर उसका मन नहीं है।