नई दिल्ली। अमेरिकी राजनीति में सबसे ऐतिहासिक कमबैक करने के बाद आम तौर पर दुनिया के तमाम विशेषज्ञ मान रहे हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की कई नीतियां मौजूदा वैश्विक व्यवस्था में उथल-पुथल मचा सकती हैं।

 

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यूक्रेन-रूस युद्ध से लेकर पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष के अलावा विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) जैसे संगठनों की भूमिका और पर्यावरण सुरक्षा को लेकर ट्रंप की नीतियां मौजूदा जो बाइडन सरकार से बिल्कुल अलग हो सकती हैं। लेकिन जहां तक भारत की बात है तो यहां के नीतिकार ट्रंप की दो प्रमुख नीतियों पर नजर रखेंगे।

 

पहली, हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर चीन की आक्रामक गतिविधियों को रोकने और दूसरी, चीन निर्मित उपकरणों पर अमेरिकी निर्भरता को खत्म करने को लेकर नई सरकार की नीति।

सीमा विवाद के बावजूद भारत व चीन के द्विपक्षीय रिश्तों के अपने मायने

 

पिछले तीन वर्षों में देखा जाए तो क्वाड के भीतर सहयोग बहुआयामी हुआ है तो दूसरी तरफ हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी चीन पहले के मुकाबले ज्यादा आक्रामक हो गया है। ऐसे में निश्चित तौर पर क्वाड की सक्रियता भी बढ़ेगी। लेकिन भारत व अमेरिका के रिश्ते सिर्फ चीन केंद्रित नहीं हैं। हाल के वर्षों में सीमा विवाद के बावजूद भारत व चीन के द्विपक्षीय रिश्तों के अपने मायने हैं।

 

अमेरिका के बाद चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार देश है। ऐसे में भारत यह देखेगा कि चीन को लेकर नई अमेरिकी सरकार की आर्थिक नीतियां क्या होती हैं? ट्रंप अपने वादे के मुताबिक चीन निर्मित उत्पादों के आयात पर रोक लगाते हैं तो इससे भारत व अमेरिका के आर्थिक संबंधों पर सकारात्मक असर होगा।