कोटा में पुलिस लाइन क्वार्टर में हेड कॉन्स्टेबल की हार्ट अटैक से मौत हो गई। वे क्वार्टर में अकेले थे। पत्नी और बेटा भोपाल गए थे। बेटे ने भोपाल से पिता को फोन किया। फोन नहीं उठाने पर उसने पड़ोस में रहने वाले पुलिसकर्मी को फोन किया। उन्होंने जाकर देखा तो हेड कॉन्स्टेबल अचेत हालत में पड़े थे और उल्टी की हुई थी। वे उन्हें निजी हॉस्पिटल लेकर गए। वहां से एमबीएस हॉस्पिटल रेफर किया गया लेकिन डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। बोरखेड़ा थाना ASI करतार सिंह ने बताया- कोटा एएसपी ऑफिस में तैनात हेड कॉस्टेबल लालाराम (50) की मौत हुई है। वे मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले थे। परिजन कोटा आ गए हैं। हेड कॉन्स्टेबल के बेटे महेंद्र ने रिपोर्ट दी है, जिसमें हार्ट अटैक से मौत होना बताया है। बेटे का कहना है कि उसके पिता बीमार रहते थे। 

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बेटे को फोन नहीं उठाने पर चला पता
ASI ने बताया- हेड कॉन्स्टेबल पत्नी और बेटे के साथ पुलिस लाइन में सरकारी क्वार्टर में रहते थे। बेटे के साथ पत्नी अपनी बेटी से मिलने भोपाल गई थी। बेटी भोपाल से नर्सिंग कर रही है। बेटे ने भोपाल से सोमवार शाम 7 बजे के करीब अपने पिता को फोन किया। फोन नहीं उठाने पर उसने पड़ोस में रहने वाले पुलिसकर्मी गनमैन मोमराज को फोन किया। पड़ोसी मोमराज ने क्वार्टर में जाकर देखा तो लालाराम बेड पर अचेत हालत में पड़े थे। बेड के पास उल्टी हो रखी थी। अन्य लोगों की मदद से उनको निजी हॉस्पिटल लेकर गए, जहां से उसे एमबीएस हॉस्पिटल रेफर किया गया। ड्यूटी डॉक्टर ने चेक कर उसे मृत घोषित किया। हेड कॉन्स्टेबल का बेटा बीएड कर रहा है। उसका कहना है- पिता बीमार रहते थे। उन्हें बीपी की समस्या थी। वे 1997 में पुलिस में भर्ती हुए थे।

कम उम्र में क्यों आ रहे हार्ट अटैक

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल करीब 6 करोड़ लोगों की मौत होती है। इनमें से लगभग 32% मौतों की वजह कार्डियोवस्कुलर डिजीज है। यह बीमारी दुनिया में सबसे अधिक मौतों की वजह बनती है। हर साल लगभग पौने दो करोड़ लोग किसी-न-किसी हार्ट डिजीज के कारण जान गंवा रहे हैं। पहले हार्ट डिजीज के ज्यादातर पेशेंट 60 साल से अधिक उम्र के होते थे। अब नई समस्या ये है कि बीते कुछ सालों में 30 साल से कम उम्र के लोग भी इसका शिकार बन रहे हैं। कोविड के बाद से तो जैसे हार्ट अटैक के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।

कम उम्र में हार्ट अटैक के क्या हैं रिस्क फैक्टर्स?

लंबे अरसे तक माना जाता रहा कि उम्र के साथ हमारा दिल भी बूढ़ा होता जाता है। इसलिए उम्र बढ़ने के साथ हार्ट डिजीज के मामले भी बढ़ जाते हैं। लेकिन बीते सालों में युवाओं को हो रहे हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स ने सबको चौंकाया है।