शिशु के लिए मां का दूध अमृत के सामान माना जाता है। बच्चा अपने शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को मां के दूध से ही प्राप्त करता है। मां का दूध बच्चे के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही, ब्रेस्ट मिल्क बच्चे को कई बीमारियों से दूर रखने में भी मदद करता है। हाल में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडिज बच्चे को कई गंभीर रोगों से भी बचाने में मदद करते हैं। इस अध्ययन में पता चला कि ब्रेस्ट मिल्क से बच्चे को रोटावायरस का खतरा कम होता (Breast milk antibodies helps to protect infant from rotavirus) है। साथ ही, उसे अन्य रोगों से भी सुरक्षा मिलती है।आगे यशोदा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के पीडियाट्रिक्स सीनियर कंसल्टेंट डॉ दीपिका रुस्तगी जानते हैं कैसे मां का दूध बच्चे के लिए फायदेमंद होता है।   

रोटावायरस क्या है? - What is Rotavirus in Hindi

रोटावायरस एक वायरस है जो शिशुओं और छोटे बच्चों में गंभीर डायरिया (दस्त) का कारण बनता है। यह संक्रमण पेट से जुड़ी समस्याओं को उत्पन्न करता है, जिससे बच्चों को उल्टी, बुखार और अत्यधिक जलन की समस्या हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, रोटावायरस से हर साल लाखों बच्चे प्रभावित होते हैं, विशेषकर विकासशील देशों में, जहां स्वच्छता की स्थिति उतनी अच्छी नहीं होती।

मां के दूध में एंटीबॉडी का महत्व - Importance of antibodies in mother's milk in Hindi 

मां के दूध में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले एंटीबॉडी, जैसे कि इम्युनोग्लोबुलिन A (IgA), शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं। ये एंटीबॉडी शिशु की आंतों में एक सुरक्षात्मक परत बनाते हैं, जिससे हानिकारक वायरस और बैक्टीरिया शिशु के शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते। रोटावायरस जैसे संक्रमण के खिलाफ यह सुरक्षा कवच विशेष रूप से प्रभावी होता है।

  • इम्युनोग्लोबुलिन A (IgA): यह आंतों की परत को सुरक्षा प्रदान करता है और संक्रमण फैलाने वाले वायरस को रोकता है। रोटावायरस के खिलाफ IgA प्रमुख भूमिका निभाता है।
  • इम्युनोग्लोबुलिन G (IgG): यह वायरस और बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करता है, जिससे शिशु को मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली मिलती है।
  • इम्युनोग्लोबुलिन M (IgM): यह शुरुआती संक्रमण के दौरान काम करता है और तुरंत प्रतिक्रिया करता है।

रोटावायरस से बचने के लिए मां के दूध की भूमिका

जब एक शिशु को स्तनपान कराया जाता है, तो मां से प्राप्त एंटीबॉडी सीधे शिशु के शरीर में प्रवेश करते हैं। यह शिशु को शुरुआती महीनों में विभिन्न रोग का कारण बनने वाले संक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करते हैं, जब उसकी खुद की प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं होती। रोटावायरस जैसे संक्रमणों के खिलाफ यह एंटीबॉडी एक अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं, जिससे वायरस शिशु की आंतों में प्रवेश नहीं कर पाता और गंभीर बीमारी उत्पन्न होने से पहले ही उसे रोका जा सकता है।

स्तनपान शिशु के लिए एक प्राकृतिक कवच का काम करता है, जो उसे विभिन्न संक्रमणों से बचाने में मदद करता है। रोटावायरस जैसे गंभीर संक्रमण से शिशु को सुरक्षित रखने में स्तन के दूध में मौजूद एंटीबॉडी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि मां अपने बच्चे को कम से कम शुरुआती 6 महीने तक स्तनपान कराए, ताकि शिशु को सबसे अच्छे प्राकृतिक रक्षा कवच का लाभ मिल सके।