महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का अंतिम दौर शुरू हो चुका है पर महाविकास अघाडी (एमवीए) के दलों कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार) व शिवसेना (यूबीटी) के बीच सीटों का बंटवारा अब तक नहीं हो पाया है। कांग्रेस आलाकमान ने सीट बंटवारे के अवरोध को दूर करने के लिए अब वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराठ को जिम्मेदारी दी है। मुंबई में एनसीपी शरद के प्रमुख शरद पवार व शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ थोराठ की बैठक भी चल रही है। दरअसल, लोकसभा चुनाव में हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को जोरदार सफलता मिली। अति-आत्मविश्वास और स्थानीय नेताओं के अडियल रवैये के चलते हरियाणा में कांग्रेस विधानसभा चुनाव हार चुकी है। इससे सबक लेते हुए महाराष्ट्र में कांग्रेस आलाकमान ने सीट बंटवारे की खटपट को गंभीरता से लिया है। अब खुद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोर्चा संभालते हुए प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले को सीट बंटवारे की की बातचीत से दूर कर दिया है। उनकी जगह वरिष्ठ नेता बाला साहेब थोराठ शरद पवार व उद्धव ठाकरे से बातचीत कर रहे हैं। महाराष्ट्र की 288 सीटों में से अधिकांश पर कोई विवाद नहीं है लेकिन, विदर्भ और मुंबई की करीब 30 से 40 सीटों को लेकर विवाद है। विदर्भ में कांग्रेस मजबूत है तो मुंबई में शिवसेना यूबीटी की अच्छी पकड़ है। शिवसेना यूबीटी ने विदर्भ की करीब 15 सीटों के साथ मुंबई में 2019 के चुनाव में भाजपा की जीत वाली 12 सीट भी मांग रखी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी यदि 100-100 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ती है तो एनसीपी शरद व सपा समेत अन्य छोटे दलों के हिस्सों में कितनी सीटें आएंगी? लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे अधिक विधानसभा सीटों पर आगे रही है। ऐसे में कांग्रेस सबसे अधिक सीट पर लड़ना चाह रही है। कांग्रेस नेताओं का दावा है कि लोकसभा चुनाव में एमवीए करीब 150 से अधिक सीटों पर आगे रहा है। इसमें कांग्रेस करीब 65, शिवसेना यूबीटी करीब 57 और एनसीपी शरद करीब 35 विधानसभा सीट पर बढ़त बनाए हुई थी। विधानसभा चुनाव में इससे अधिक सीटों पर एमवीए आगे रहने वाला है।