रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने BRICS समिट से ठीक पहले रूस-भारत-चीन (RIC) तिकड़ी को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से ये देश औपचारिक तौर पर नहीं मिले हैं, लेकिन आज भी ये एक मजबूत संबंध रखते हैं। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक लावरोव ने एक रूसी मीडिया से इंटरव्यू में कहा कि कोविड और कुछ और चीजों की वजह से इन देशों की बैठक नहीं हुई है।लावरोव ने कहा कि 1990 के दशक में रूस-भारत-चीन तिकड़ी की नियमित बैठकें आयोजित करने की पहल हुई थी। बाद में इस तिकड़ी का विस्तार हुआ जो आगे जाकर BRICS बनी। इसमें ब्राजील, साउथ अफ्रीका जुड़े। 1 जनवरी 2024 को ब्रिक्स में चार नए मेंबर मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को भी शामिल किया गया। रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि BRICS दुनिया की इकोनॉमी में चल रहे बदलावों का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में नए आर्थिक केंद्र विकसित हो रहे हैं। इससे दुनिया पर फाइनेंसियल असर भी पड़ रहा है। BRICS अपने सदस्य देशों की जरूरतों को ध्यान में रखता है। दूसरे देश भी इसका सदस्य बनना चाहते हैं। यह एक ऐसा ग्रुप है जिसमें न तो एक देश आगे है और न ही दूसरों के पीछे है।लावरोव ने यह भी स्पष्ट किया कि BRICS का मकसद किसी से संघर्ष करना नहीं है। इसमें पश्चिमी देश शामिल नहीं हैं, इसका मतलब ये नहीं कि हम उनके विरोधी हैं। BRICS का मकसद अपनी ज्योग्राफी, साझा इतिहास और आस-पास होने का लाभ उठाना है।