रिमोट एक्सेस स्कैम तेजी से बढ़ रहा है। स्कैमर्स डिवाइस का एक्सेस लेकर यूजर्स का संवेदनशील डेटा चुरा लेते हैं। इसके साथ ही वे डिवाइस का एक्सेस लेकर उनके साथ ठगी को अंजाम देते हैं। डिवाइस एक्सेस के लिए स्कैमर्स वायरस या मैलवेयर वाले सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करते हैं। इस तरह वे डिवाइस का एक्सेस लेकर यूजर्स के साथ स्कैम करते हैं।

टेक्नोलॉजी जैसे-जैसे बढ़ रही है स्कैमर्स भी हाई टेक होते जा रहे हैं। रोज नए-नए तरीकों से स्कैमर्स लोगों के डिवाइस का एक्सेस लेकर उनके साथ ठगी कर रहे हैं। आज हम स्कैम के ऐसे ही एक तरीके रिमोट एक्सेस के बारे में बात करेंगे, जिसके तहत स्कैमर्स लोगों के डिवाइस का एक्सेस किसी तरह प्राप्त कर लेते हैं और फिर उनके साथ ठगी को अंजाम देते हैं।

इसके लिए स्कैमर्स लोगों के डिवाइस में मैलवेयर इंस्टॉल करते हैं। ठगी के इस तरीके से बचने के लिए आपको किसी भी अंजान सोर्स से अपने डिवाइस में किसी तरह का सॉफ्टवेयर इंस्टॉल नहीं करना है।

रिमोट एक्सेस स्कैम कैसे काम करता है?

रिमोट एक्सेस स्कैम में स्कैमर्स यूजर्स के डिवाइस: लैपटॉप या स्मार्टफोन का एक्सेस ले लेते हैं। ऐसा करने के लिए वे यूजर्स को लालच देकर वायरस या मैलवेयर वाले सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करवा लेते हैं। इसके लिए स्कैमर्स अलग-अलग हथकंडे अपनाते हैं।

फिशिंग: स्कैमर्स यूजर्स को लालच देने या टेक सपोर्ट के बहाने फिशिंग ईमेल या कॉल कर उनके डिवाइस में वायरस और मैलवेयर वाले सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करवा लेते हैं।

जल्दबाजी या इमरजेंसी: कई बार स्कैमर्स यूजर्स के सामने ऐसी परिस्थिति बना देते हैं कि वे जल्दबादी और इमरजेंसी में उसके डिवाइस का एक्सेस ले लेते हैं। इसका फायदा उठाकर वे उनके साथ ठगी को अंजाम देते हैं।

रिमोट एक्सेस रिक्वेस्ट: कई बार स्कैमर्स लोगों को अपने डिवाइस का रिमोट एक्सेस की रिक्वेस्ट कर लेते हैं। इसके बाद वे डिवाइस में खतरनाक सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर उनके साथ ठगी कर लेते हैं।

रिमोट एक्सेस स्कैम से कैसे बचें?

अनजान कॉल-ईमेल से सावधान: कॉल या ईमेल पर किसी को भी अपने बारे में ज्यादा जानकारी न दें। इसके साथ ही अपने किसी भी आईडी, पासवर्ड या फिर ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारी देने से बचें। अगर कोई आपको अपने लैपटॉप या फोन में कोई ऐप या सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने के लिए कहें तो ऐसा बिलकुल भी न करें। इसके साथ ही ईमेल या मैसेज में आए सॉफ्टवेयर के लिंक पर क्लिक करने से भी बचें।