नई दिल्ली। दिसंबर, 2018 में आरबीआई गवर्नर का पद संभालने के बाद शुरुआत के चार वर्षों तक डॉ. शक्तिकांत दास की छवि ब्याज दरों को लेकर बाजार व जनता को आश्चर्यचकित करने वाली थी। यानी कई बार उन्होंने तब ब्याज दरें घटाई जब उम्मीद कम थी और तब बढ़ाईं जब इसकी उम्मीद नहीं थी, लेकिन पिछले ढाई वर्षों से इस बारे में वह कोई भी चकित करने वाला काम नहीं कर रहे।

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अपना फैसला सुनाएगी एमपीसी

आरबीआई गवर्नर डॉ. दास की अगुवाई में हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पिछली नौ बैठकों में ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला किया गया है। बुधवार (09 अक्टूबर, 2024) को भी एमपीसी तीन दिनों के विमर्श के बाद अपना फैसला सुनाएगी और किसी भी विशेषज्ञ को यह भरोसा नहीं है कि भारत में ब्याज दरों को लेकर डॉ. दास कोई बदलाव करेंगे।

एमपीसी में होते हैं पांच सदस्य

सनद रहे कि आरबीआई गर्वनर के अलावा एमपीसी में पांच और सदस्य होते हैं। इसमें तीन सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार करती है। पिछले हफ्ते ही वित्त मंत्रालय ने तीन नये सदस्यों डॉ. नागेश कुमार, प्रो. राम सिंह और सौगत भट्टाचार्य की नियुक्ति की है। एमके ग्लोबल फाइनेंशिएल की रिपोर्ट के मुताबिक उक्त तीनों नये सदस्यों की राय बनने में कुछ वक्त लगेगा लेकिन ब्याज दरों में कटौती का समय संभवत: अभी नहीं आया है।

इन फैक्टर का रखना होगा ध्यान

अभी घरेलू अर्थव्यवस्था को लेकर कुछ उल्टे संकेत आ रहे हैं। साथ ही किसी फैसले पर पहुंचने से पहले अमेरिका में मंदी, अमेरिका-चीन के बीच कारोबारी टकराव बढ़ने, अमेरिकी चुनाव को लेकर जारी अस्थिरता के मुद्दे को भी ध्यान में रखना होगा। वैसे भी ब्याज दरों के ज्यादा होने के बावजूद अभी देश में कर्ज की रफ्तार तेज बनी हुई है। एमके ग्लोबल की रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई गवर्नर यह संकेत दे सकते हैं कि दिसंबर, 2024 से ब्याज दरों में नरमी का रुख आ सकता है।