आज (4 अक्टूबर) नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। देवी पार्वती ने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। ब्रह्म शब्द का अर्थ है तपस्या और ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तपस्या का आचरण करने वाली। कठोर तप की वजह से देवी को ब्रह्मचारिणी नाम मिला। हमारे शरीर में सप्त चक्र बताए गए हैं और इनमें अलग-अलग देवियों का वास माना जाता है। देवी ब्रह्मचारिणी हमारे शरीर के स्वाधिष्ठान चक्र में रहती हैं।ब्रह्मचारिणी स्वयं सफेद वस्त्रों में दर्शन देती हैं, इसलिए भक्तों को भी उनकी पूजा में सफेद कपड़े पहनने चाहिए। घर के मंदिर में देवी की पूजा और व्रत करने का संकल्प लें। हार-फूल, कुमकुम, गुलाल, बिल्व पत्र, ब्राह्मी औषधि आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। घी का दीपक लगाएं। पंचामृत का भोग लगाएं। पूजा के बाद दिनभर व्रत रखें। देवी मंत्रों का जप करें। शाम को देवी की पूजा करने के बाद व्रत खोलें।