जयकारों के साथ हुई भागवत कथा की पूर्णाहुति 

बूंदी l ग्राम माटुंदा में श्री पुष्कर दास जी महाराज के द्वारा चल रही संगीतमय भागवत कथा के सातवे दिन पूर्णाहुति में कहा कि सत्कर्म में लगा हुआ पैसा लक्ष्मी कहलाती है l कथा को आगे बढ़ाते हुए महाराज ने कहा जिसकी आत्मा हर दम हरी चित्त में लगी रहे वही गोपी है l कथा में रास लीला का वर्णन किया l अंत में भगवान द्वारकाधीश रूक्मणी जी का हरण करके ब्याह रचाते हे l सुदामा चरित्र की व्याख्या करते हुए कहा सुदामा के जीवन में इतनी गरीबी होने के बाद भी अहसास नहीं होने दिया l पत्नी का नाम सुशीला था जैसा नाम था वैसा गुण भी था l सुदामा चावल की पोट लेकर द्वारिका जाते हे और द्वारकाधीश ने अपने मित्र सुदामा का खूब स्वागत सम्मान किया ओर स्वयं भगवान ने रूक्मणी जी के साथ सुदामा के चरण प्रक्षालन किए l भगवान ने सुदामा की गरीबी दूर करी l कथा के सातवे दिन पूर्णाहुति में महाआरती की गई और जयकारों के साथ पूरा प्रांगण गूंज उठा l विट्ठल वैष्णव ने बताया अंत में लखनपाल परिवार द्वारा उदयपुर से पधारे महाराज का शाल, उपरना ओढ़ा कर  सम्मान किया गया और परिवार के सभी सदस्यों ने श्रोता का आभार वक्त किया गया l