राजस्थान में 7 सीटों पर होने जा रहे विधानसभा उपचुनावों को लेकर सियासी गहमा-गहमी अब तेज हो गई है। कांग्रेस के साथ ही बीजेपी भी उपचुनावों की तैयारियों को धार देने में जुटी हुई हैं। इसके लिए भाजपा और कांग्रेस लगातार अपने संगठन के कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलने में लगे हुए हैं। वहीं, 7 सीटों पर होने वाले उप-चुनाव की रणनीति के साथ दावेदार नेताओं से फीडबैक भी लिया जा रहा है। अगर हम बात करें झुंझुनूं विधानसभा सीट की तो, यहां 2023 के विधानसभा चुनावों में जीते बृजेंद्र सिंह ओला लोकसभा चुनाव जीतकर झुंझुनूं संसदीय क्षेत्र से सांसद बन गए हैं। ओला के सांसद बनने के बाद झुंझुनूं विधान सभा सीट खाली हो गई है। अगले कुछ दिनों में इस सीट पर भी उपचुनाव होंगे। उपचुनाव को देखते हुए यहां दोनों ही दलों में कई नेता मजबूती से दावेदारी पेश कर रहे हैं।शेखावाटी आंचल की यह सीट वैसे तो जाट बाहुल्य और ओला परिवार के दबदबे वाली मानी जाती है, लेकिन बृजेन्द्र ओला के सांसद बनने के बाद यहां के समीकरण बदल गए हैं। कांग्रेस पार्टी में भी ओला परिवार के इतर कई दावेदार मजबूती से ताल ठोक रहे हैं, वहीं भाजपा में भी कई लोग टिकट मांग रहे हैं। इसके अलावा उदपुरवाटी से पूर्व विधायक रहे राजेन्द्र गुढ़ा की चुनाव लड़ने की चर्चाओं से भाजपा-कांग्रेस की टेंशन बढ़ी हुई है। वहीं, खास बात है कि इस सीट पर सचिन पायलट का भी व्यापक प्रभाव है। सियासी गलियारों में एक चर्चा ये भी है कि उदयपुरवाटी विधान सभा क्षेत्र से तीन बार चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी भी झुंझुनूं विधानसभा उप-चुनाव में ताल ठोकने का मन बना रहे हैं। वहीं, पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा कई महीनों से यहां डेरा डालकर जनता की नब्ज टटोल रहे हैं। इसके अलावा ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि राजेन्द्र गुढ़ा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के टिकट पर भी उपचुनाव लड़ सकते हैं। वहीं, शुभकरण चौधरी बीजेपी से टिकट की जुगाड़ बैठाने का प्रयास कर रहे हैं।आपकी जानकारी के लिए बता दें 2013 के विधानसभा चुनावों में उदयपुरवाटी से बीजेपी की टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने शुभकरण चौधरी की 2018 और 2023 में हार हुई है। दूसरी तरफ पूर्व मंत्री राजेंद्रसिंह गुढ़ा 2013 में कांग्रेस की टिकट पर हार गए तथा 2018 में बसपा की टिकट पर चुनाव जीतकर दूसरी बार मंत्री बन गए और 2023 में शिवसेना की टिकट पर फिर हार गए। इससे पहले गुढ़ा 2008 में उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र से बसपा की टिकट पर विधायक जीतकर मंत्री बने थे। हम बात करे झुंझुनूं सीट पर जातियों की तो यहां मुस्लिम, जाट व दलित मतदाताओं का बाहुल्य है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ही मैदान में जाट समुदाय के उम्मीदवार को उतारना बेहद सुरक्षित रहता है। झुंझुनू में 23 फीसदी मुस्लिम वोटर्स है। मुस्लिम वोट कांग्रेस के परंपरागत वोट माने जाते हैं। इस समीकरण के चलते बीजेपी के लिए यह सीट काफी मुश्किल मानी जाती है। इस जातीय गणित के दम पर ही कांग्रेस लगातार सीटें जीत रही है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान की झुंझुनूं, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, सलूम्बर, चौरासी और रामगढ़ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है। देवली उनियारा विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक हरीश मीणा अब सांसद बन चुके हैं। दौसा विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक मुरारीलाल मीणा अब सांसद बन चुके हैं। झुंझुनूं विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक बृजेंद्र ओला अब सांसद बन चुके हैं। चौरासी विधानसभा सीट, BAP विधायक राजकुमार रोत अब सांसद बन चुके हैं।वहीं, खींवसर विधानसभा सीट, RLP विधायक हनुमान बेनीवाल अब सांसद बन चुके हैं। सलूंबर विधानसभा सीट, बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा का निधन हो चुका है। रामगढ़ विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक जुबेर खान का निधन हो चुका है। बता दें 7 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में 6 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था, वहीं सलूंबर सीट भाजपा के पास थी।बताया जा रहा है कि राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग जल्द ही करने जा रहा है। चर्चा है कि महाराष्ट्र और झारखंड के साथ राजस्थान में विधानसभा चुनाव होंगे।