शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्री बड़े मथुराधीश मन्दिर पर रविवार को वामन द्वादशी मनाई गई। इस दौरान भक्त प्रभु के दर्शनों के लिए उमड़ रहे थे। वामन द्वादशी पर शालिग्राम जी के पंचामृत दर्शन हुए। इस दौरान प्रातः मंगला के, मध्याह्न पंचामृत, राजभोग तथा सायंकाल भोग और आरती के दर्शन के लिए वैष्णव जुटते रहे। वामन द्वादशी पर अभ्यंग स्नान, उत्सव भोग, सालिग्रामजी का पंचामृत व राजभोग खुलने का क्रम हुआ। वामन जयंती पर मंगला दर्शन के पश्चात प्रभु को चन्दन, आवंला एवं फुलेल से अभ्यंग कराया गया।

प्रथम पीठ युवराज मिलन कुमार गोस्वामी ने बताया कि दशमी तक बाल- लीला के पद गाए जाते थे। अब एकादशी से प्रतिदिन दान के पद गाये जाएंगे। प्रभु को मीठी और नमकीन दही के साथ ही दूध से बनी विविध सामग्री भोग के रूप में धराई गई। दान की सामग्री में दूध श्री स्वामिनीजी के भाव से, दही श्री चन्द्रावलीजी के भाव से, छाछ श्री यमुनाजी के भाव से और माखन श्री कुमारिकाजी के भाव से अरोगाया गया। भोग- आरती में सूखे मेवे के टुकड़ों से मिश्रित मिश्री की कणी अरोगायी गई।

उन्होंने बताया कि पुष्टिमार्ग में भगवान विष्णु के सभी अवतारों में से श्रीकृष्ण, श्रीराम, श्रीनृसिंह एवं श्रीवामन को मान्यता दी है। इस कारण इन चारों अवतारों के जन्म दिवस को जयंती के रूप में मनाया जाता है। वामन भगवान ने ‘आंशिक’ पुष्टि लीला की थी इसीलिए श्री महाप्रभुजी ने जयंती को पुष्टिमार्ग में मान्यता दी थी। जबकि दानलीला पूर्णतः पुष्टि लीला है।