देशभर में जैविक खेती के प्रति आ रही जागृति से कोटा में भी रुझान बढ़ा है। खेती में उपयोग हो रहे कृषि रसायनों के दुष्प्रभावों से परेशान होकर किसान जैविक खेती अपना रहे हैं। कोटा के जाखोड़ा क्षेत्र में स्थित श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र जैविक कृषि प्रशिक्षण का बड़ा केन्द्र बन रहा है। जहां पिछले 27 माह से निरन्तर निशुल्क जैविक कृषि प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

केन्द्र के वैज्ञानिक पवन के टांक बताते हैं कि जैविक कृषि के लिए सटीक जानकारी की नितान्त आवश्यकता रहती है। देशभर के किसान इस विषय के प्रशिक्षण के लिए कोटा आ रहे हैं। 

अनुसन्धान केन्द्र के निदेशक ताराचंद गोयल ने बताया कि यहाँ सम्पूर्ण भारत से अब तक 15000 किसान व्यक्तिगत प्रशिक्षण लें चुके है, इनमे से अधिकतर किसान यहाँ से विकसित खाद बनाने की विधि को अपना चुके है, केवल हाड़ोती मे 500 से अधिक किसान शुद्ध रूप से जैविक कृषि करना शुरु कर चुके है। इनमें कईं किसान 10 एकड़ से अधिक भूभाग वाले हैं। जिन्होंने यहाँ से प्रशिक्षण लेकर खाद, बीज, दवा स्वयं तैयार कर प्रति एकड़ 25 हजार रुपए तक की लागत को कम किया है। कुछ किसान पेस्टिसाइड की लागत को न्यून कर के प्रति एकड़ 2500 रूपये राशि बचा चुके है। ऐसे भी किसान हैं, जिन्होंने प्रथम वर्ष में ही रसायनिक कृषि के बराबर उत्पादन प्राप्त हुआ है।

उन्होंने बताया कि रविवार को आयोजित 28वें प्रशिक्षण कार्यक्रम में असम, बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात और राजस्थान सहित कईं राज्यों से करीब 125 किसानों ने प्रशिक्षण लिया। अनुसंधान केन्द्र के विशेषज्ञ डाॅ. पवन टाक ने बताया कि हमारे यहां कार्यक्रम में सम्पूर्ण प्रशिक्षण सीधे खेत पर दिया जाता है। प्रत्येक अनुसंधान कार्यों के परिणामों का जीवंत दृश्य खेत एवं लेब पर दिखाया जाता है। प्रत्येक प्रयोग का प्रेक्टिकल करवाया जाता है। यहां से प्रशिक्षित और सफल किसानों से रूबरू भी करवाया जाता है। जिसकी वजह से प्रशिक्षण का प्रभाव सकारात्मक रहता है।

डाॅ. टाक ने कहा कि यह सम्पूर्ण प्रशिक्षण शुद्ध आहार - स्वस्थ परिवार के ध्येय वाक्य से प्रेरित है। इस कार्यक्रम में भाग लेने आए सभी किसानों को एक बीघा से एक परिवार के लिए तैयार पोषण वाटिका में छह सदस्यों के लिए आवश्यक अनाज, तिलहन, दलहन, फल, सब्जी औषधि औऱ चारे फसल उत्पादन के बारे में तकनीकी विशेषज्ञ प्रशिक्षण दे रहे हैं। 

केन्द्र के विशेषज्ञ मोहित सुमन, मुरलीधर नागर, महावीर सुमन एवं लोकेश मीना प्रयोगशाला, खाद यूनिट, नवीन प्रयोग प्रकल्पों के साथ यहां उत्पादित स्थानीय फसल आदि का अवलोकन कराते हैं। पवन टाक जैविक कृषि की समग्र अवधारणा पर तकनीकी सत्र पोषण के विषय पर हरी खाद, सरल कम्पोस्ट, तरल घोल के विषय पर अपना व्याख्यान दे रहे हैं। मुकेश दांगी, नितेश मेहरा, रामनिवास मीणा द्वारा कीट एवं रोग नियंत्रण, पर्यावरण मित्र तकनीक, वनस्पति आधारित कीट नियंत्रक, जीवाणु आधारित कीट नियंत्रक के साथ भूमि जनित कीट के नियंत्रण पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।सभी किसानों को जैविक बीज, पौधे, कल्चर आदि निशुल्क प्रदान किए जा रहे हैं। अरविंद सुमन, ग्राम विकास प्रमुख पुरूषोत्तम शर्मा एवं हरिराम मेघवाल ने भी विचार रखे।