तेलंगाना के मोहम्मद सूफियान, जो रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे हुए थे. उन्होंने बताया कि युद्ध में उनके साथ कैसे बर्ताव किया गया. उन पर क्या-क्या बीती. वो अब वापस अपने घर, भारत लौट आए हैं. उनका स्वागत बड़े धूमधाम से किया गया. 22 साल के सूफियान के साथ कर्नाटक के तीन अन्य युवक भी भारत लौट आए हैं. उन्होंने बताया कि एक धोखेबाज एजेंट ने धोखा देकर यूक्रेन में लड़ने के लिए एक निजी रूसी सेना में भर्ती कर लिया था. सूफियान ने बताया कि कम से कम 60 भारतीय युवा इस नौकरी धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं, जिनमें से कई अभी भी विदेश में हैं. युद्ध में फंसे इन भारतीय को दिसंबर 2023 में रूस में सुरक्षा कर्मियों के रूप में काम दिलाने का वादा करके बाहर भेजा गया था. लेकिन जब वे रूस पहुंचे, तो उनकी स्थिति बेहद खराब हो गई. सूफियान ने कहा, “हमें गुलामों जैसा व्यवहार किया गया.” उन्होंने अपने अनुभवों को शेयर करते हुए बताया कि उन्हें हर दिन सुबह 6 बजे जगाया जाता था और लगातार 15 घंटे काम करना पड़ता था, वो भी बिना किसी आराम या नींद के. इन भारतीय की स्थिति वहां बहुत की अमानवीय थी, और उन्हें बहुत कम राशन दिया जाता था. सूफियान ने कहा, “हमारे हाथों में फफोले पड़ गए थे, हमारी पीठ में दर्द होता था, और हमारा मनोबल टूट जाता था.” अगर वे थकावट के कोई लक्षण दिखाते, तो उन्हें और ज्यादा मेहनत करने के लिए मजबूर किया जाता था.

बंदूक चलाने के लिए मजबूर

उनका काम केवल सामान्य काम नहीं था. उन्हें खाइयां खोदनी पड़ती थीं और असॉल्ट राइफलें चलानी पड़ती थीं. उन्हें AK-12 और AK-74 जैसी कलाश्निकोव, साथ ही अन्य विस्फोटक चलाने का टेस्ट दिया गया था. सबसे कठिन चुनौती ये थी कि वो पूरी तरह से दुनिया से कटे हुए थे. सूफियान और उनके साथी ये नहीं जानते थे कि वे कहां हैं, या उन्हें कहां ले जाया जा रहा है. उन्हें अपने परिवारों से बात करने की भी इजाजत नहीं थी.

कर्नाटक के रहने वाले अब्दुल नईम ने कहा, “हमारे मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए थे.” उन्होंने महीनों तक अपने परिवार से बात नहीं की. विदेशी युद्ध क्षेत्र में रहने का मानसिक प्रभाव उनके लिए बहुत बड़ा था. कर्नाटक के सैयद इलियास हुसैनी ने बताया कि वो हर दिन ये नहीं जानते थे कि क्या यह उनका आखिरी दिन होगा.