बून्दी। बूंदी के आराध्य देव डोल यात्रा के अवसर पर श्री रंगनाथ जी अपने निज मंदिर से स्वर्ग सी आभा में तोप की सलामी, मृंदग, शहनाई, बैंण्ड बाजों की मधुर ध्वनि के साथ ठाकुर जी के  जयकारों के साथ मंदिर प्रांगण में आए और वहाँ से देव विमान में विराजमान हो नगर भ्रमण पर निकले भगवान के दर्शनों को लेकर लोगों में अपार उत्साह दिखा। 
श्री रंगनाथ सेवा समिति अध्यक्ष पुरुषोत्तम पारीक ने बताया की बूंदी के मोतीमहल रावला का चैक से ठाठबाट व शाही अंदाज में विमानों को देवालयों से बाहर लाया गया, जहां लोगों ने भगवान के खुले परिसर में दर्शन किए। यहां पर पुजारी पंडित गणेश शर्मा व पुजारी पंडित मुकेश शर्मा ने  पूजा-अर्चना कर आरती उतारी उसके बाद भगवान की गाजे-बाजे के साथ विमान यात्रा रवाना हुई। प्रभु की एक झलक पाने के लिए मंदिर चैक की छतें और पाण्डाल लोगों से खचाखच भरा हुआ था. जिधर देखो उधर ही श्रद्धालु नजर आ रहे थे. इस दौरान भक्तजनों और श्रृद्धालुओं ने जगह-जगह पूरे मार्ग पर प्रभु के विमान पर पुष्प वर्षा कर फल व श्री फल भेट कर स्वागत किया. यात्रा में शामिल विद्वान और शहर के गणमान्य लोग लाल छडियां लिए हुए थे। यात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई देर रात रामबाग मोती महल रावले के बाग में पहुंची, जहा पर बूंदी जहां पर  ब्राह्मणो  ने   मंत्रोचार के साथ  बूंदी महाराव राजा  वंशवर्धन सिंह  ने  सभी देवों का कलशाभिषेक व जलवा पूजन किया ।  महाराव राजा  वंशवर्धन सिंह ने बताया की डोल ग्यारस को लेकर यह भी मान्यता है कि इस दिन माता यशोदा ने भगवान श्रीकृष्ण के वस्त्र धोए थे. इसी कारण से इस एकादशी को श्जलझूलनी एकादशीश् भी कहा जाता है. इसके प्रभाव से सभी दुःखों का नाश होता है. इस दिन भगवान विष्णु और बालकृष्ण के रूप की पूजा की जाती है जिनके प्रभाव से सभी व्रतों का पुण्य मनुष्य को मिलता है. जो मनुष्य इस एकादशी को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, उससे तीनों लोक पूज्य होते हैं. यात्रा में गोविंदानाथ, पीताम्बरनाथ व रंगनाथ महाराज के विमान शामिल रहे। विधायक हरिमोहन शर्मा , श्री रंगनाथ सेवा समिति अध्यक्ष पुरषोत्तम पारीक , महासचिव अजय नुवाल, मार्ग में श्री लक्ष्मीनाथ श्री जगन्नाथ मंदिर, श्री चारभुजा नाथ मंदिर, श्री कल्याण राय मंदिर, श्री त्रिहस्त गणेश जी, आरती वालो ने एवम नगर सेठ राजकुमार कासलीवाल ने  भगवान रंगनाथ की आरती की और प्रसाद चढ़ाया गया।