आर्यिका विज्ञाश्री माताजी ससंघ के सान्निध्य में श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र सहस्त्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी में केसलोंच की क्रिया संपन्न हुई। मनो देवी जैन गुडग़ांव ने गुरु मां से 7 प्रतिमा के व्रत एवं श्वेत वस्त्र धारण करने का नियम ग्रहण किया। साथ ही पूज्य गुरु मां की आहार चर्या कराने का सौभाग्य भी प्राप्त किया। गुरु भक्त सुरेंद्र पाटनी एवं पदमचंद पाटनी विवेक विहार जयपुर ने गुरु मां का आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रतीक जैन सेठी ने बताया की रोट तीज के पावन अवसर पर विज्ञातीर्थ क्षेत्र पर भक्ति भावों के साथ भक्त अशोक जैन रुपनगढ सपरिवार ने भगवान के चरणों में रोट चढ़ाई। माताजी ने प्रवचन देते हुए रोट तीज का महत्व बताते हुए कहा कि किसी काल में एक जैन परिवार पाप कर्मोदय से गरीबी के कष्ट भोग रहा था। तदुपरांत उस गरीब महिला ने अपने पास रखा हुआ एक अनाज का दाना दान में दिया था। उसके दान के प्रभाव से उनके घर में अटूट संपदा एवं धन समृद्धि की प्राप्ति हुई। भक्ति भाव के साथ दान देने से अचिंत्य फल की प्राप्ति अवश्य ही हुआ करती है।