बीते कुछ सालों में ऑनलाइन पेमेंट के इस्तेमाल में तेजी आई है। ऐसे में यूजर सिक्योरिटी को लेकर यूपीआई पेमेंट ऐप्स ने कई अपडेट पेश किए है जो सिक्योरिटी के लिए अहम है। ऐसी ही एक सुविधा है बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन भी है जो आपके पेमेंट मैथर्ड को और सुरक्षित कर देता है। आइये इसके खूबियों के बारे में जानते हैं।

डिजिटलाइजेशन के चलते कुछ ही सालों में ऑनलाइन पेमेंट में तेजी से वृद्धि हुई है। ऐसे में यूजर्स के अकाउंट और फाइनेंशियल डिटेल की सुरक्षा जरूरी है। ऐसे में इन खतरों से निपटने और UPI ट्रांजैक्शन को सिक्योर करने के लिए आप बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन का उपयोग कर सकते हैं।

इसके फायदों के बारे में जानने से पहले आपको इसके बारे में भी विस्तार से जानना चाहिए। यहां हम आपके दिमाग में आने वाले हर जरूरी सवाल का जवाब देंगे।

क्या है बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन ?

  • बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन आपके अकाउंट में सिक्योरिटी की एक और परत जोड़ता है।
  • इसमें यूजर के यूनिक फिजिकल और बिहेवियर पैटर्न के आधार पर वेरिफिकेशन किया जाता है।
  • इसमें फिंगरप्रिंट, आईरिस पैटर्न, फेस रिकॉग्निशन, वॉयस रिकॉग्निशन और यहां तक की टाइपिंग स्पीड जैसे बिहेवियर पैटर्न भी शामिल हो सकते हैं।
  • यानी कि ये सुविधा पासवर्ड और पिन के अलावा विशेष और बेहतर सुरक्षा देता है।

    UPI में क्यों जरूरी है बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन?

    • UPI ट्राजैक्शन एडवांस की सुरक्षा के लिए पासवर्ड और पिन जैसे पुराने तरीकों के करण यूजर्स को हैकिंग और फिशिंग हमलों का सामना करना पड़ता है।
    • ऐसे में बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सिक्योर ऑप्शन हो सकता है, जो आपकी सिक्योरिटी में एक और परत जोड़ता है और धोखाधड़ी और अनचाहे एक्सेस का जोखिम को भी काफी कम कर सकता है।