प्रकृति सरंक्षण के बिना मानव अस्तित्व की कल्पना सम्भव नहीं 

बून्दी

बूंदीस्थ ज्योतिष व धर्मशास्त्र परिषद द्वारा सोमवार को जेतसागर किनारे स्थित माधव की पैड़ियों पर श्रावणी कर्म का विधि विधान के साथ आयोजन किया इस अवसर पर विप्रजन ने वैदिक मंत्रोच्चार की आध्यात्मिक स्वरों के साथ विश्व शांति व मानव कल्याण की कामना की।

परिषद के मीडिया प्रभारी ज्योतिषाचार्य प.विनोद गौतम ने बताया कि श्रावणी कर्म प्रतीक रूप में किया जाने वाला यह विधान हमें स्वाध्याय और सुसंस्कारों के विकास के लिए प्रेरित करता है। परिषद के अध्यक्ष पंडित श्रीकांत चालकदेवी वाले के निर्देशन व परिषद के लक्ष्मीकांत शर्मा के नेतृत्व में मंत्री पुरूषोत्तम शर्मा,पंडित सीताराम जोशी, अनिल शर्मा वेदपाठी, विनोद गौत्तम, राधेश्याम शर्मा,देवेंद्र दाधीच, विनायक शर्मा, उच्छब लाल शर्मा, अभिषेक वेदपाठी ,जगदीश राजोरा ,लोकेश पगारा, हरीश श्रृंगी, राजेंद्र जोशी,हेरम्ब जोशी , योगेश शर्मा, राघव जोशी के द्वारा श्रावणी उपाकर्म उत्सव में वैदिक विधि से हेमादिप्रोक्त, प्रायश्चित, संकल्प, सूर्याराधन, दशविधि स्नान,देवऋषिपितृ तर्पण, सूर्योपस्थान, यज्ञोपवीत धारण, प्राणायाम, अग्निहोत्र व ऋषि पूजन कराया गया, सामूहिक मंत्रोच्चार करते हुए सभी वेद पाठियों ने शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक शुद्धि हेतु नूतन यज्ञोपवीत धारण कर हवन कार्य सम्पन्न किया। अनुष्ठान में विप्र जनों द्वारा सप्तऋषि पूजन, दस विधि महास्नान व हेमाद्रि संकल्प सहित चारो वेद का पूजन 

इस अवसर पर विद्वजन ने विभिन्न वेदोक्त अनुष्ठानों से स्वस्तिवाचन, शांतिपाठ के साथ राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभाध्यक्ष सांसद ओम बिरला, राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, मुख्यमंत्री भजन लाल, विधायक हरिमोहन शर्मा, जिला प्रमुख चंद्रावती कंवर, चेयरमेन मधु नुवाल, जिला कलेक्टर अक्षय गोदारा, पुलिस अधीक्षक हनुमान प्रसाद मीणा की स्वस्थता व कुशल नेतृत्व की मंगल कामना की तथा राष्ट्र निर्माण में रत मीडिया जगत, सामाजिक कार्यकर्ता जनमानस सहित राष्ट्र व जिले में सुख शांति व समृद्धिमय उत्तरोत्तर विकास की कामना की। 

वरिष्ठ सदस्य लक्ष्मीकांत शर्मा ने श्रावणी कर्म के जनहित में आयोजन का आध्यात्मिक पक्ष स्पष्ट किया उन्होंने कहा कि प्रकृति संरक्षण के बिना मानव अस्तित्व की कल्पना सम्भव नहीं है। श्रावण का अर्थ होता है जिसमें सुना जाए संसार में सबसे अधिक महत्वपूर्ण ईश्वरीय ज्ञान वेद है इसलिए इस मास में वेदों को सुना जाता है ऐसे प्रकृति अनुकूल अवसर को हमारे वैज्ञानिक सोच रखने वाले ऋषियों ने वेदों के स्वाध्याय चिंतन मनन एवं आचरण के लिए अनुकूल माना इसलिए श्रावणी पर्व को प्रचारित किया ताकि मनुष्य अपनी आध्यात्मिक उन्नति करें।इस अवसर पर बोलते हुए पण्डित अनिल शर्मा ने कहा कि वैज्ञानिक पक्ष से श्रावण में कीट पतंगे से लेकर वायरस, बैक्टीरिया सभी का प्रकोप होता है जिससे अनेक बीमारियां फैलती है । प्राचीन काल से अग्निहोत्र के माध्यम से बीमारियों को रोका जाता था इसलिए इसका विशेष प्रावधान किया जाता है और वेद परायण यज्ञ को इसमें सम्मिलित किया है। विनोद गौतम ने कहा कि श्रावणी पर्व का एक पक्ष यह है कि यह मानव व प्रकृति के सम्बंध का सूचक है और पर्यावरण रक्षा के रूप में प्रचलित है। इसी प्रकार सामाजिक पक्ष के तहत ज्ञानी मनुष्य द्वारा समाज को दिशा निर्देशन एवं धर्म भावना को समृद्ध करना भी इसमें निहित है। वेदपाठी अनिल शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया व आभार प्रकट किया।