प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से विकसित भारत 2047 का उल्लेख किया। उन्होंने देशवासियों से कहा कि विकसित भारत 2047 केवल आशा के शब्द नहीं है, इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है। उन्होंने आम देशवासियों की भारत को विकसित देखने की इच्छा का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा मुझे प्रसन्नता है कि देश के करोड़ों नागरिकों ने विकसित भारत 2047 के लिए अनगिनत सुझाव दिए। देशवासियों के सपने, संकल्प उसमें दिखते हैं। युवा, गरीब, आदिवासी, ग्रामीण, शहरी, किसान, कामगार, ने विकसित भारत के लिए अनमोल सुझाव दिए हैं। मैने जब इन सुझावों को देखा था मन प्रसन्न हो जाता था। कुछ लोगों ने भारत को दुनिया का स्किल कैपिटल बनाने का प्रस्ताव हमारे सामने रखा। कुछ लोगों ने मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनाने का प्रस्ताव रखा। कुछ लोगों ने भारत के हमारे विश्वविद्यालयों को ग्लोबल बनाया जाए इसका सुझाव दिया। कई लोगों ने ग्लोबल मीडिया के सुझाव दिए। कुछ लोगों ने जीवन की हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का सुझाव दिया। कुछ लोगों ने मोटा अनाज जिसे श्री अन्न कहा जाता है, सुझाव दिया कि ऐसे सुपर फूड को दुनिया की हर डाइनिंग टेबल पर पहुंचाना है। इसके अलावा कई लोगों ने यह सुझाव दिए की देश में स्थानीय स्वराज संस्थाओं से लेकर अनेक इकाइयां हैं, उन सब में गवर्नेंस के रिफॉर्म की बहुत जरूरत है। हमारे मन में आत्मविश्वास एक नई ऊंचाई पर पहुंच जाता है। देशवासियों का यह भरोसा केवल इंटेलेक्चुअल डिबेट नहीं है, यह भरोसा अनुभव से निकला है। यह विश्वास लंबे कालखंड की पैदावार है। प्रधानमंत्री ने कहा, जब लाल किले से कहा जाता है कि हिंदुस्तान के 18 हजार गांवों में तय समय सीमा में बिजली पहुंचाएंगे, और इन गांव में बिजली पहुंच जाती है तो भरोसा मजबूत हो जाता है। उन्होंने कहा कि जब लाल किले से यह है कहां जाए कि हमारे 3 करोड़ परिवार ऐसे हैं जिनके घर में नल से जल मिलता है। आवश्यक है हमारे परिवारों को पीने का शुद्ध पानी पहुंचे। जल जीवन मिशन के तहत कम समय में नए 12 करोड़ परिवारों को जल जीवन मिशन के तहत नल से जल पहुंच रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कौन लोग वंचित थे, इन व्यवस्थाओं से कौन पीछे रह गए थे। उन्होंने कहा कि समाज की अग्रिम पंक्ति के लोग इन अभावों में नहीं जीते थे बल्कि दलित, पीड़ित, शोषित, आदिवासी झोपड़ी वाले में रहने वाले लोग इन अभावों में जी रहे थे। हमने अनेक ऐसी प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जो प्रयास किया है उनका परिणाम मिला है।