उत्तर प्रदेश। आगामी 22 जुलाई से सावन का पावन महीना शुरू हो रहा है और इसी के साथ कांवड़ यात्रा भी प्रारंभ हो जाएगी। इस यात्रा के दौरान लाखों कांवड़ यात्री हरिद्वार के लिए निकल पड़ेंगे, लेकिन इस बार यात्रा से पहले उत्तर प्रदेश सरकार के एक आदेश से विवाद खड़ा हो गया है। योगी सरकार ने कांवड़ रूट पर स्थित दुकानों और ठेलों के लिए एक निर्देश जारी किया है, जिसमें उन्हें अपनी दुकानों और ठेलों पर नेमप्लेट लगाने को कहा गया है।

योगी सरकार का आदेश
योगी सरकार के इस आदेश में कहा गया है कि सभी दुकानदार और ठेले वाले अपनी दुकानों पर अपना नाम लिखें ताकि कांवड़ यात्री जान सकें कि वे किस दुकान से सामान खरीद रहे हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से कहा गया है कि पूरे उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाने-पीने की दुकानों पर नेमप्लेट लगानी होगी और दुकानों पर संचालक या मालिक का नाम और पहचान स्पष्ट रूप से लिखनी होगी। इसके अलावा हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी।

इस फैसले से हुआ विवाद
इस आदेश के चलते विवाद खड़ा हो गया है। यूपी सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि कई लोग अपनी दुकानों और ढाबों के नाम हिंदू धर्म के नाम पर रखते हैं, जबकि वे मुस्लिम होते हैं और नॉनवेज बेचते हैं। यह कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के ढाबों पर मालिक के नाम अंकित किए जाएं तो इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

पुलिस का बयान
पुलिस के आदेश के अनुसार सावन के पवित्र महीने में कई कांवड़ यात्री अपने खानपान में कुछ खाद्य सामग्री से परहेज करते हैं। पूर्व में ऐसी घटनाएं हुई हैं जहां दुकानदारों ने अपनी दुकानों के नाम से भ्रम पैदा किया, जिससे कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हुई। इसे रोकने के लिए कांवड़ मार्ग पर होटल, ढाबे और खानपान की सामग्री बेचने वाले दुकानदारों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने मालिक और काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करें।

कुछ लोगों ने लगाए गंभीर आरोप
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस आदेश को ‘भेदभावपूर्ण’ करार देते हुए आरोप लगाया कि यह मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिश है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस आदेश को “सामाजिक अपराध” करार दिया और अदालतों से स्वतः संज्ञान लेने की अपील की। दूसरी ओर, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने इस आदेश का समर्थन किया। हिंदू संगठनों का आरोप है कि कुछ दुकानदार अपनी पहचान छुपा कर दुकान चलाते हैं, जिससे कांवड़ियों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। पुलिस के पास आई शिकायतों के बाद यह आदेश जारी किया गया।

कांवड़ यात्रा का महत्व
मुजफ्फरनगर जिले से होकर कांवड़िए हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में जाते हैं। हरिद्वार से हर साल लगभग 4 करोड़ कांवड़िए कांवड़ उठाते हैं, जिनमें से ढाई करोड़ से ज्यादा मुजफ्फरनगर से होकर गुजरते हैं। शिव भक्ति की यह यात्रा जल्द ही शुरू होने वाली है, लेकिन इससे पहले यूपी पुलिस के आदेश से यात्रा के साथ यह विवाद भी जुड़ गया है।