राजस्थान विधानसभा में बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान शुक्रवार को बीजेपी विधायक शंकर सिंह रावत ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का नाम बदलकर नरेंद्र मोदी के नाम पर रखने की मांग की. रावत ने तर्क देते हुए कहा, 'जब इंदिरा गांधी नहर नाम रखा जा सकता है, तो नरेंद्र मोदी क्यों नहीं रखा जा सकता? ईआरसीपी तो पीएम नरेंद्र मोदी ही लेकर आए हैं. फिर उनके नाम पर क्यों नहीं रखा जाए.' इस दौरान अजमेर और ब्यावर जिले को ERCP से जोड़ने की योजना को लेकर भी विधायक रावत ने सवाल पूछा जिसका जवाब देते हुए जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने सदन में जवाब देते हुए कहा कि अजमेर शहर के लिए हम एक बांध का निर्माण कर रहे हैं. यह बांध एक बार भरने पर अजमेर शहर समेत आसपास के इलाकों की 2 साल तक प्यास बुझा सकता है. हालांकि ईआरसीपी का नाम बदलने की मांग पर मंत्री ने मुस्कुराहट के अलावा कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. जब विधायक बार-बार मंत्री से जवाब मांगने लगे तो स्पीकर ने कहा कि वे सुझाव बाद में दें. प्रदेश के 21 जिलों में पानी की समस्या दूर करने के लिए ईआरसीपी को संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना में शामिल कर भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश के साथ समझौता हुआ है. राजस्थान में भाजपा सरकार बनते ही इस संबंध में मध्य प्रदेश सरकार के साथ MoU भी साइन हो चुका है. यह समझौता बताता है कि दोनों राज्य पानी को शेयर करेंगे, एक दूसरे को पानी पहुंचाएंगे. प्रोजेक्ट की लागत तीनों (केंद्र) शेयर करेंगे. चंबल बेसिन में जल के मैनेजमेंट और कंट्रोल करने की व्यवस्था होगी. राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भी ईआरसीपी बड़ा चुनावी मुद्दा था. भजनलाल शर्मा ने सरकार बनाते ही इस योजना की दिशा में बड़ा कदम उठाया था.