जस्थान सरकार को छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य कोल फील्ड में परसा ईस्ट एवं कांता बासन (पीईकेबी) कोल ब्लॉक की 91.21 हेक्टेयर वनभूमि का उपयोग करने की अनुमति नहीं मिली. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने क्लियर कर दिया. छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि राजस्थान सरकार को ऐसी कोई अनुमति नहीं दी है. पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि उनकी तरफ से गलती हो गई होगी, हमारी तरफ से ऐसा नहीं है. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को लेटर लिखकर कोयला खनन के लिए वनभूमि का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए धन्यवाद दिया था. लिखा था कि राजस्थान के 4340 मेगावाट क्षमता की तापीय विद्युत परियोजनाओं को कोयले की आपूर्ति से सहायता मिलेगी. अब राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया 'X'पर पोस्ट लिखा, "यह बेहद ही आश्चर्यजनक है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के बयानों में विरोधाभास है. राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल जी दावा करते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राजस्थान के विद्युत गृहों के लिए कोयले की आपूर्ति हेतु हसदेव अरण्य कोलफील्ड में संचालित परसा ईस्ट एवं कांता बासन (पीईकेबी) कोल ब्लॉक की 91.21 हेक्टेयर वनभूमि का उपयोग करने की अनुमति प्रदान कर दी है पर आज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय कहते हैं कि ऐसी कोई बात ही नहीं है." उन्होंने लिखा,  "राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जनता को इसकी सच्चाई बताई जानी चाहिए.  क्या दोनों मुख्यमंत्रियों को अधिकारी इस मुद्दे पर गुमराह कर रहे हैं या दोनों मुख्यमंत्री मिलकर अपने-अपने राजनीतिक हितों के अनुरूप जनता को गुमराह कर रहे हैं.  बिजली जैसे जरूरी मुद्दे पर दोनों सरकारों को संवेदनशील होने की आवश्यकता है पर इस तरह की भ्रम फैलाने वाली राजनीति से किसका भला होगा?"